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तुअर दाल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के पक्ष में खाद्य मंत्रालय, किसानों को मिलेगी सही कीमत

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय तुअर दाल पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किए जाने के पक्ष में है। इससे किसानों को सही कीमत मिल सकेगी।

Dharmender Chaudhary
Published on: April 24, 2017 15:48 IST
तुअर दाल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के पक्ष में खाद्य मंत्रालय, किसानों को मिलेगी सही कीमत- India TV Paisa
तुअर दाल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के पक्ष में खाद्य मंत्रालय, किसानों को मिलेगी सही कीमत

नई दिल्ली। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय तुअर दाल पर आयात शुल्क की दर 10 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किए जाने के पक्ष में है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि हम यह कदम किसानों के हक में उठाना चाहते हैं। पासवान का यह बयान उनकी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के साथ बैठक के बाद आया है। इस बैठक में फड़णवीस ने तुअर दाल पर सीमा शुल्क बढ़ाने की मांग की।

फड़णवीस का कहना था कि रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से किसानों को इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने पिछले महीने घरेलू उत्पादकों के संरक्षण के लिए तुअर दाल पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया था। बैठक के बाद पासवान ने कहा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि तुअर दाल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए। मैं भी इसके पक्ष में हूं कि तुअर पर आयात शुल्क ऊंचा होना चाहिए। हम इस पर विचार विमर्श कर वित्त मंत्रालय से इसकी सिफारिश करेंगे।

पासवान ने कहा कि खाद्य मंत्रालय ने तुअर दाल के आयात पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया था, लेकिन यह सिर्फ 10 प्रतिशत लगाया गया। उन्होंने कहा कि सस्ती आयातित दाल की बिक्री पर अंकुश के लिए उंचा आयात शुल्क जरूरी है। मंत्री ने कहा कि सरकारी एजेंसियां बफर स्टॉक के लिए दालों की खरीद कर रही हैं। यह खरीद एमएसपी पर की जा रही है और खरीफ के दलहन की खरीद की समयसीमा 22 अप्रैल है।

बैठक में फड़णवीस ने दलहन खरीद की समयसीमा भी बढ़ाने की मांग की, जिसे केंद्र ने खारिज कर दिया। केंद्र का कहना है कि किसान अब अपनी खरीफ की उपज नहीं ला रहे हैं। सिर्फ व्यापारी और आयातक ही ऐसा कर रहे हैं। इसलिए समयसीमा बढ़ाने की जरूरत नहीं है। पासवान ने हालांकि यह भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार यह देखेगी कि जो मात्रा आ चुकी है उसकी खरीद 22 अप्रैल तक हो पाती है या नहीं।

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