वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार को कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों ने कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर खुद से 11,700 अरब डॉलर के बराबर वित्तीय कदम उठाए हैं। आईएमएफ ने कहा कि अब उन्हें आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखकर मध्यम अवधि से लेकर दीर्घावधि के लिए सुरक्षित कोष बनाना होगा। मुद्राकोष के राजकोष विषयक प्रभाग के निदेशक विटोर गैसपर ने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों का जीवन बचाने, उन्हें मदद देने तथा कंपनियों को बाजार में टिके रहने के लिए सहायता देने को लेकर त्वरित और निर्णायक राजकोषीय उपाय जरूरी थे।
उन्होंने कहा कि लेकिन आर्थिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर ठप होने के साथ प्राथमिक घाटा बढ़ने से वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर्ज 2020 में उछलकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का करीब 100 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। गैसपर ने कहा कि आने वाले समय में सार्वजनिक ऋण कुछ स्थिर होगा, लेकिन यह 2025 तक जीडीपी के 100 प्रतिशत के स्तर पर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे विचार से, प्राथमिकता कोविड-19 को नियंत्रण में लाने की होनी चाहिए। यह जरूरी है कि राजकोषीय मदद को समय से पहले वापस नहीं लिया जाए। यह आवश्यक है कि हालत में सुधार होता रहे। यह अर्थव्यवस्थाओं और समाज के स्थायी संकट से बचने के लिए आवश्यक है।
गैसपर ने कहा कि कंपनियों और कर्मचारियों को जो मदद दी जा रही है, उसे लोगों और पूंजी में निवेश करने समेत धीरे-धीरे संसाधन के पुन:आबंटन और आर्थिक बदलाव को सुगम बनाने की दिशा में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशों को मध्यम अवधि से दीर्घकाल के दौरान कोष बनाने की जरूरत होगी। दीर्घकालीन चुनौतियों के बारे में पहले से सोचना जरूरी है। पारदर्शिता और सुशासन के सिद्धांतों को और मजबूत करना भी महत्वपूर्ण है।
वैश्विक आर्थिक गिरावट 4.4 प्रतिशत, चीन एक मात्र वृद्धि वाला देश
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी, लेकिन चीनी अर्थव्यवस्था में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जो दुनिया भर में एक मात्र सक्रिय वृद्धि प्राप्त प्रमुख आर्थिक समुदाय है। रिपोर्ट में कहा गया कि आर्थिक बहाली के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी से धीरे-धीरे निकल आई है। एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में चीन की मदद से वैश्विक व्यापार की बहाली जून महीने से ही शुरू हुई। लेकिन कुछ क्षेत्रों में महामारी के फैलाव की गति तेज हो रही है, कुछ आर्थिक समुदायों ने अगस्त से ही आर्थिक बहाली को धीमा किया।
विस्तृत रूप से देखा जाए, तो इस वर्ष विकसित आर्थिक समुदायों की 5.8 प्रतिशत की गिरावट होगी, उभरते बाजार और विकासशील आर्थिक अर्थव्यवस्थाओं की 3.3 प्रतिशत की कमी आएगी। अमेरिका की 4.3 प्रतिशत, यूरो क्षेत्र की 8.3 प्रतिशत, जापान की 5.3 प्रतिशत की गिरावट होगी। वहीं भारत की अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की कमी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन दुनिया भर में एक मात्र सक्रिय आर्थिक वृद्धि वाली प्रमुख आर्थिक इकाई है। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार, इस वर्ष चीन की आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत होगी, जो गत जून में अनुमान से 0.9 प्रतिशत बढ़ाया गया। आने वाले वर्ष 2021 में चीनी आर्थिक वृद्धि जारी होगी, जो 8.2 प्रतिशत का अनुमान है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि वैश्विक आर्थिक पुनरुत्थान लम्बा समय होगा, असंतुलित और अनिश्चित भी होगा। उन्होंने दुनिया भर में विभिन्न आर्थिक समुदायों से समय से पहले अपनी राजकोषीय और मौद्रिक सहायता नीतियों को वापस न लेने की अपील की, ताकि लगातार आर्थिक बहाली को सुनिश्चित किया जा सके।