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जीएसटी के लिए राजनीतिक सहमति पर ध्यान दे सरकार: उद्योग जगत

उद्योग जगत के नेताओं ने कहा कि सरकार को जीएसटी विधेयक को पारित करवाने के लिए राजनीतिक सहमति बनाने तथा गैर विधायी सुधारों में गति लाने पर ध्यान देना चाहिए।

Abhishek Shrivastava
Published on: May 23, 2016 18:07 IST
जीएसटी के लिए राजनीतिक सहमति पर ध्यान दे सरकार, उद्योग जगत ने दी सलाह- India TV Paisa
जीएसटी के लिए राजनीतिक सहमति पर ध्यान दे सरकार, उद्योग जगत ने दी सलाह

नई दिल्ली। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी वर्षगांठ पास आने के बीच उद्योग जगत के नेताओं ने आज कहा कि सरकार को अब लंबे समय से अटके वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को पारित करवाने के लिए राजनीतिक सहमति बनाने तथा गैर विधायी सुधारों में गति लाने पर ध्यान देना चाहिए।

गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा, सरकार द्वारा राजनीतिक सहमति बनाए जाने पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है ताकि जीएसटी विधेयक राज्यसभा में पारित हो सके। जीएसटी एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिससे जीडीपी में सीधे ही 1.5 फीसदी वृद्धि होगी। सीसीआई के अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्‍स ने एक बयान में कहा है, भारतीय अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से सुधरी है और यह दो साल की तुलना में काफी स्थिर है। यह मुद्रास्फीति पर काबू पाने व राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के दायरे में रखने के मजबूत व रणनीतिक व्यापक आर्थिक प्रबंधन को परीलक्षित करता है।

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वहीं अन्य उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने कहा है, निकट भविष्य में सरकार गैर विधायी व कार्यकारी कदमों में तेजी लाने पर विचार कर सकती है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि में प्रक्रियात्मक बाधाएं कम होंगी। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, हमें पूरा भरोसा है कि व्यापार सुगमता के हिसाब से भारत की रैंकिंग अगले दो साल में मौजूदा 130 से सुधरकर शीर्ष 50 में आ जाएगी।

विश्व बैंक की डूईंग बिजनेस रिपोर्ट  2016 के अनुसार भारत को व्यापार सुगमता के लिहाज से 189 देशों में 130 वें स्थान पर रखा गया। अर्नेस्ट एंड यंग के कंट्री मैनेजर राजीव मेमानी ने कहा कि वित्त मंत्री ने बीते दो साल में कर प्रणाली को युक्तिसंगत व सरल बनाने तथा विवाद निपटान प्रणाली में सुधार के लिए अनेक कदम उठाए हैं। भारती एंटरप्राइजेज के राकेश भारती मित्तल ने कहा, सरकार ने सार्वजनिक निवेश से बुनियादी ढांचा निर्माण का लक्ष्य रखा है। बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल व वित्तपोषण के नए मार्ग की पहल की गई है। बुनियादी ढांचा आज भारत में नया उदीयमान क्षेत्र है।

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