Sunday, November 24, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. निर्यातकों ने जताई आपत्‍ति, आयात पर अंकुश नहीं निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे सरकार

निर्यातकों ने जताई आपत्‍ति, आयात पर अंकुश नहीं निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे सरकार

सरकार को चालू खाते के घाटे को बढ़ने से रोकने के लिये निर्यात बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये।

Written by: India TV Paisa Desk
Published on: September 15, 2018 17:42 IST
Import Export- India TV Paisa

Import Export

नई दिल्ली। सरकार को चालू खाते के घाटे को बढ़ने से रोकने के लिये निर्यात बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये। आयात पर अंकुश लगाने से इसमें किसी तरह की उल्लेखनीय मदद मिलने की संभावना नहीं है। निर्यातकों की संस्था फियो ने शनिवार को यह कहा। भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ ‘फियो’ के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा कि सरकार को बढ़ते चालू खाते के घाटे (कैड) और रुपये में गिरावट से निपटने के लिये आयात पर अंकुश नहीं लगाना चाहिये। 

गणेश गुप्ता ने कहा, ‘‘यदि हम संरक्षणवाद को अपनाने वाले देशों की जमात में शामिल नहीं होते हैं तो मैं नहीं समझता हूं कि हमें आयात पर अंकुश लगाने चाहिये। उम्मीद है कि इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समक्ष कैड का 2.5 प्रतिशत पर होना चिंता की बात नहीं है। तीन प्रतिशत से नीचे रहने पर परेशानी वाली कोई बात नहीं है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास विदेशी मुद्रा का उपयुक्त भंडार है जो कि 10 माह के आयात के लिये काफी है।’’ सरकार ने गिरते रुपये और बढ़ते कैड को नियंत्रित करने के लिये शुक्रवार को कई कदमों की घोषणा की है। मसाला बांड पर विदहोल्डिंग कर हटाने, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में राहत और गैर- जरूरी आयातों पर अंकुश लगाने का फैसला किया गया है। 

फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सरकार को निर्यातकों के लिये जल्द ही नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को गैर-जरूरी उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाना ही है तो उसे महंगे इलेक्ट्रानिक सामानों, रेफ्रिजरेटर, घड़ियों, सोना और महंगे जूते और कपड़ों पर यह अंकुश लगाने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, व्यापार निर्यातकों ने सोने जैसी वस्तु पर आयात प्रतिबंध लगाये जाने को लेकर चिंता जताई है। उनका मानना है कि इस तरह के कदमों से व्यापार घाटा कम करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। 

चालू खाते का घाटा यानी कैड देश में आने वाली और देश से बाहर निकलने वाली कुल विदेशी मुद्रा के अंतर को कहते हैं। जब कम विदेशी मुद्रा आती है और बाह्य प्रवाह अधिक होता है तो यह घाटे की स्थिति होती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह घाटा जीडीपी का 2.4 प्रतिशत रहा। व्यापार घाटा बढ़ने और डालर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से कैड पर दबाव बढ़ रहा है। 12 सितंबर को अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 72.91 रुपये प्रति डालर तक गिर गया। हालांकि कारोबार की समाप्ति पर यह 71.84 रुपये प्रति पर बंद हुआ। 

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement