कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अधीन लाने के लिए राज्य सरकारों से पहल करने की अपील की है। सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पाद पहले से ही जीएसटी के तहत हैं और राज्यों को यह तय करना होगा कि वे कब पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत कर देना चाहते हैं।
वित्त मंत्री सीतारमण ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वित्त मंत्री ने जीएसटी से जुड़े मुद्दों को लेकर कहा कि कर की दरें कम करने की पहल शुरू करने की जिम्मेदारी केंद्र की नहीं है। राज्यों के मंत्रियों को भी यह मामला उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी राज्य जीएसटी के तहत पेट्रोलियम उत्पादों को लाने के लिए तैयार होंगे तो एक और संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी।
एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मुझसे दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीरो जीएसटी सूची में रखने की सिफारिश की थी। इस बारे में राज्य सरकारों को जीएसटी काउंसिल के पास प्रस्ताव भेजना होगा। उन्होंने आगे कहा कि दिवंगत वित्त मंत्री अरुण जेटली की दूरदर्शिता के कारण पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी शासन के तहत रखा गया है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने जीएसटी के सरलीकरण के लिए उन्होंने तमाम कदम उठाने का भी आश्वासन दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के कारण केंद्र और राज्य की सरकारों की आय में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीने से जीएसटी की वजह से प्रति महीने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की आय हो रही है। प्रति तीन महीने पर जीएसटी की सूची में संशोधन का काम भी तेजी से किया जाता है। पश्चिम बंगाल और असम के चाय उत्पादक क्षेत्रों में एटीएम की कमी का मामला उठाने पर उन्होंने कहा कि बिना नकदी के मेहनताने का भुगतान समस्या बन रहा है। मैं जानती हूं कि चाय उत्पादक क्षेत्रों में एटीएम कम हैं। सरकार इन इलाकों में एटीएम लगाने को तैयार है।
वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हमने खपत बढ़ाने और पूंजीगत निवेश को सुनिश्चित करने की नींव डाली है। सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने पर खर्च करेगी। इसका लघु एवं दीर्घ अवधि में व्यापक असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में कर मामलों में अपील करने और कर भुगतान की प्रक्रिया में अधिकारियों और करदाताओं के एक-दूसरे के सामने उपस्थित होने की अनिवार्यता समाप्त करने जैसे कदमों को शामिल किया है।
वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि व्यावसायिक ऋण वितरण में तेजी लाने की जरूरत है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कारोबार की वास्तविक असफलता और फर्जीवाड़ा के बीच फर्क करने के लिए एक समिति का गठन किया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वित्त मंत्री के साथ केंद्रीय संस्थानों के कई अधिकारी भी उपस्थित थे।
वित्त मंत्री सीतारमण ने उक्त बातें कोलकाता में वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित बजट के बाद की बातचीत में उद्योग जगत के नेताओं को संबोधित करते हुए कही। इसी तरह की बातचीत मुंबई और चेन्नई में भी आयोजित की गई है। (इनपुट- एएनआई/भाषा)