नई दिल्ली। संकट के दौर से गुजर रहे येस बैंक के फाउंडर राणा कपूर के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को छापेमारी की है। येस बैंक के संकट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी शुक्रवार को बयान दिया। उन्होनें कहा कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से कहा है कि वह पता लगाए कि येस बैंक में क्या गलत हुआ है और इसके लिए व्यक्तिगत भूमिका की पहचान करे। सीतारमण ने कहा कि आरबीआई 2017 से ही येस बैंक की निगरानी कर रहा है, इस दौरान प्रशासन संबंधी मसले, कमजोर अनुपालन, गलत परिसंपत्ति वर्गीकरण की बात सामने आई। कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने येस बैंक प्रबंधन में बदलाव पर जोर दिया था। येस बैंक में गड़बड़ी के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, जांच एजेंसियों को भी येस बैंक में अनियमितताओं का पता चला है।
वित्त मंत्री ने कहा कि येस बैंक के कर्मचारियों की नौकरी, वेतन एक साल तक सुरक्षित हैं और जमाएं एवं देनदारियां अप्रभावित रहेंगी। आरबीआई पता लगाएगा कि येस बैंक में क्या गलत हुआ। इसमें व्यक्तिगत भूमिका का पता लगाया जाएगा। अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें येस बैंक ने कर्ज दिया था।
रिजर्व बैंक द्वारा येस बैंक के बोर्ड को भंग करने और जमा खाताधारकों की निकासी सीमा तय करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक की 2017 से निगरानी की जा रही थी और इससे संबंधित गतिविधियों की हर दिन निगरानी की गई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2017 से बैंक में प्रशासन संबंधी मसले, कमजोर अनुपालन, गलत परिसंपत्ति वर्गीकरण जैसी स्थिति को पाया। उन्होंने कहा कि कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने येस बैंक प्रबंधन में बदलाव का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ये फैसले बैंक के हित में किए गए और सितंबर 2018 में एक नए सीईओ की नियुक्ति हुई। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को भी येस बैंक में अनियमितताओं का पता चला। सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक तात्कालिकता की भावना के साथ यथोचित कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन योजना 30 दिनों में पूरी तरह प्रभावी हो जाएगी और एसबीआई ने येस बैंक में निवेश करने की इच्छा जताई है।