नई दिल्ली| वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सचिवों के साथ आत्मनिर्भर भारत पैकेज की व्यापक समीक्षा की। समीक्षा में मुख्य रूप से पैकेज को लागू करने से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि पैकेज का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जा सके। पैकेज को लेकर जानकारी देते हुए वित्त मंत्रालय ने एक बयान मे कहा कि बैंकों ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत 80,93,491 कर्जदारों को 2,05,563 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण राशि मंजूर की है। महामारी के समय में मझोले और छोटे सेक्टरों को नकदी सपोर्ट प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा 3 लाख करोड़ रुपये की ईसीएलजीएस योजना को इस वर्ष की शुरुआत में आत्मनिर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था। केंद्र द्वारा की गई इस संबंध में प्रगति के अनुसार, 4 दिसंबर तक, निजी क्षेत्र के 23 शीर्ष बैंक और 31 एनबीएफसी द्वारा अतिरिक्त क्रेडिट राशि 2,05,563 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जबकि 1,58,626 करोड़ रुपये 40,49,489 कर्जदारों को दिए गए हैं।
इस योजना में 26 नवंबर को संशोधन किया गया था और इसकी अवधि अब 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, निर्धारित टर्नओवर सीमा को हटा दिया गया है। यह उम्मीद की जाती है कि 45 लाख इकाइयां इस योजना के माध्यम से व्यावसायिक गतिविधि को फिर से शुरू कर सकती हैं और नौकरियों की सुरक्षा कर सकती हैं। 4 दिसंबर की समीक्षा के दौरान प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने 27,794 करोड़ रुपये की पोर्टफोलियो खरीद को मंजूरी दी है और वर्तमान में 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना 2.0 के तहत 1,400 करोड़ रुपये के लिए अनुमोदन / वार्ता की प्रक्रिया में हैं। बॉन्ड या वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) की खरीद की समय सीमा को आगे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 तक कर दिया गया है। 4 दिसंबर तक, इस विशेष सुविधा से 25,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। शेष राशि 5,000 करोड़ रुपये स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी के तहत छोटी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (एनबीएफसी-एमएफआई) के लिए आरबीआई द्वारा नाबार्ड को आवंटित किए गए। इसके अलावा, नाबार्ड ने छोटे एनबीएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई के लिए एसएलएफ से संवितरण को शुरू करने के लिए 6 अक्टूबर को दिशानिर्देश जारी किए थे।