नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ कर्ज गारंटी योजना को लेकर समीक्षा बैठक की और उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र (एमएसएमई क्षेत्र) के लिये शुरू की गई तीन लाख करोड़ रुपये की आपात कर्ज गारंटी योजना के तहत कर्ज बांटने का काम तेज करने को कहा। यह बैठक वीडियो कन्फ्रेंस के जरिये हुई। इस दौरान वित्त मंत्री ने योजना के क्रियान्वयन में बैंकों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्तीय सेवाओं के विभाग ने इस बारे में जारी एक ट्वीट में कहा, ‘‘माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने आपात कर्ज गारंटी सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किये जाने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने बैंकों को अपनी शाखाओं के स्तर पर योजना को लेकर सक्रिय रहने और कर्ज के लिये फार्म को सरल तथा औपचारिकताओं को कम से कम रखने की सलाह दी।
इससे पहले दिन में मंत्रालय ने आठ जून तक अलग अलग क्लस्टर को मंजूरी किये गये कर्ज के बारे में आंकड़े जारी किये। मंत्रालय के ट्वीट में कहा गया, ‘‘आठ जून 2020 की स्थिति के अनुसार 12 राज्यों के एमएसएमई केन्द्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1,109.03 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया। यह कर्ज सरकार के विशेष आर्थिक पैकेज के तहत एमएसएमई के लिये 100 प्रतिशत आपात कर्ज सुविधा गारंटी योजना के तहत मंजूरी किया गया। इसमें से 17,904 खातों में 599.12 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित भी कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत यह सबसे बड़ी वित्तीय घोषणा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैकेज के बारे में पांच किस्तों में विस्तृत जानकारी पिछले महीने दी। इसके बाद 21 मई को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एमएसएमई क्षेत्र के लिये ईसीएलजीएस के जरिये 9.25 प्रतिशत की रियायती दर पर तीन लाख करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त वित्तपोषण को मंजूरी दे दी। योजना के तहत कर्ज पर राष्ट्रीय कर्ज गारंटी ट्रस्टी कंपनी एनसीजीटीसी) की तरफ से 100 प्रतिशत गारंटी की सुविधा होगी। इसके लिये सरकार ने 41,600 करोड़ रुपये का कोष उपलब्ध कराया जायेगा। यह कोष इस वित्त वर्ष और अगले तीन वित्तीय वर्षों के लिये होगा।