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विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट नीति, विपक्ष के आरोप गलत: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 07, 2021 16:07 IST
निजीकरण पर विपक्ष के...- India TV Paisa
Photo:PTI

निजीकरण पर विपक्ष के आरोप गलत

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण को लेकर ‘घर के गहने’ बेचने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सरकार ने पहली बार विनिवेश की स्पष्ट नीति तैयार की है। उन्होंने कहा कि हमारा इरादा करदाताओं के पैसे को समझदारी के साथ खर्च करने का है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कि निर्दिष्ट क्षेत्रों में कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अच्छा प्रदर्शन करें, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि करदाताओं का पैसा सोच-समझकर खर्च हो। सीतारमण ने रविवार को यहां कारोबारी लोगों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो विपक्ष का आरोप है कि घर के गहने बेचे जा रहे हैं, ऐसा नहीं है। घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है, इसे हमारी ताकत होनी चाहिये। चूंकि आपने इतने खराब तरीके से इनपर खर्च किया कि इनमें से कई चल पाने में सक्षम नहीं हैं। कुछ ऐसे हैं, जो बेहतर कर सकते हैं, लेकिन उनके ऊपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य इस नीति के माध्यम से ऐसे उपक्रमों को सक्षम बनाना है। उन्होंने कहा, ‘‘आपको उनकी आवश्यकता है, आपको उन्हें बड़े पैमाने पर ले जाने की आवश्यकता है ताकि वे बढ़ते भारत की आकांक्षाओं को पूरा करें।’’ उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी। सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है।

इस मौके पर हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा कि बजट 2021-22 राहत, वसूली और सुधार पर ध्यान केंद्रित करने वाला ‘न्यू डील’ का भारतीय संस्करण है। बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीषकुमार चौहान ने कहा कि इस बजट की तुलना में सिर्फ 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत सुधार दस्तावेज ही खड़ा हो सकता है

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