नई दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई व्यवस्था (PCA) के अंतर्गत रखे गए 11 सार्वजनिक बैंकों की मजबूती के लिए सभी संभव सहायता देने का भरोसा दिया है। केंद्रीय बैंक ने बिगड़ती वित्तीय सेहत की जांच के लिए इन्हें निगरानी सूची में रखा है। पीसीए व्यवस्था के अंतर्गत, बैंकों को लाभांश के वितरण और लाभ को बैंक से बाहर भेजने पर रोक का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त ऋणदाताओं को शाखाओं का विस्तार करने से रोक दिया जाता है और डूबे कर्ज एवं खर्च के लिए उच्च प्रावधानों को बनाए रखने की आवश्यकता होती। गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद यह बात कही।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के अस्वस्थ होने के कारण गोयल को कुछ समय के लिए वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गयी है। जेटली गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद अभी स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।
गोयल ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्र सरकार बैंकों को मजबूत बनाने के लिए हरसंभव सहयोग दे ताकि बैंकों को जल्दी से जल्दी पीसीए व्यवस्था से बाहर लाया जा सके। उन्होंने कहा कि बैठक यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि पिछले 12-13 वर्षों में बैंकिंग प्रणाली में क्या हुआ है।
जिन 11 बैंकों को पीसीए व्यवस्था के अंतर्गत रखा गया है, उनमें देना बैंक, इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।
इससे पहले गोयल ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता डूबे कर्ज और घोटालों की मार झेल रहे घरेलू बैंकिंग क्षेत्र को जल्द ही पटरी पर लाने की होगी क्योंकि इन गड़बड़ियों का असर वास्तविक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
गोयल ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैंकिग उद्योग सुव्यवस्थित तरीके से वृद्धि करे। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उच्चतम स्तर की सुचिता एवं जवाबदेही की अपेक्षा की जाती है। गोयल को जेटली का करीबी माना जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेटली की सेहत में अच्छी तरह सुधार हो रहा है। कल मुझे उनसे बात करने और उनसे मार्गदर्शन लेने का अवसर मिला। उन्होंने कुछ मुद्दों के बारे में बताया और मैं उन्हीं को लेकर आगे बढ़ रहा हूं।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारा पहला काम बैंकिंग प्रणाली को जल्दी से जल्दी अपने पैरों पर खड़ा करना है और उस विरासत से पीछा छुड़ाना है जो हमारी सरकार को 2014 में मिली थी।
विरासत से उनका मतलब संप्रग सरकार के दौरान अजीबोगीब तरीके से बांटे गए कर्जों से था। कई कंपनियों विशेषकर बिजली, इस्पात और दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां ने बैंकों से कर्ज लिया और क्षेत्र से जुड़ी दिक्कतों एवं आर्थिक सुस्ती के कारण कर्ज चुकाने में नाकाम रहीं। गोयल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कुछ घोटाले सामने आए हैं, जिसने बैंकों की छवि धूमिल हुई तथा फंसे कर्ज की समस्या और बढ़ गयी।
गोयल ने कहा कि मैं अपने सभी सहयोगी बैंक अधिकारयों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लाखों कर्मचारियों और बैंकिंग क्षेत्र के सभी हितधारकों तथा आरबीआई के मार्गदर्शन में, यह सुनिश्चित करेंगे की बैंकिंग क्षेत्र सुव्यवस्थित तरीके से वृद्धि करे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सर्वोच्च स्तर की सुचिता एवं जवाबदेही कायम हो जो उनसे अपेक्षा की जाती है।