नई दिल्ली। मैगी पर प्रतिबंध से सिर्फ नेस्ले को नहीं आटा मिलों को भी भारी नुकसान हुआ है। उद्योग संगठन के मुताबिक मैगी पर प्रतिबंध से मिलों को हर महीने छह करोड़ का नुकसान हुआ है। प्रतिबंध की वजह से नूडल बनाने वाली कंपनियों की आटा मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रोलर फ्लोर मिलर्स महासंघ ने मांग की है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अपने द्वारा खरीदे गए गेहूं को प्रमाणीकृत करना चाहिए क्योंकि एफएसएसएआई का नियम सख्त है।
हर महीने 6 करोड़ रुपए का नुकसान
महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वी के अंसल ने कहा, नेस्ले और अन्य इंस्टैंट नूडल बनाने वाली कंपनियां मिलकर मिलों के कुल आटा (मैदा) बिक्री में पांच फीसदी योगदान करती है। नूडल कंपनियां हर महीने 3,000 टन आटा खरीदती है, जिसकी कीमत अंदाजन छह करोड़ रुपए है। इसलिए प्रतिबंध और गुणवत्ता मसलों के कारण नूडल निर्माताओं की ओर से कोई मांग नहीं है।
जून में मैगी पर लगा था प्रतिबंध
एफएसएसएआई ने इस साल जून में मैगी नूडल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि बंबई हाई कोर्ट ने इस आदेश को निरस्त कर दिया और इन उत्पादों की फिर से जांच करने के लिए कहा। हाल में प्रयोगशालाओं से क्लीन चिट मिलने के बाद नेस्ले ने मैगी का फिर से उत्पादन शुरू किया। फेडरेशन के अध्यक्ष हितेश चंडाक ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इन दिनों खाद्य नियामक एफएसएसएआई आटा मिलों पर आटे की गुणवत्ता से संबंधित सख्त कानून को लागू कर रहा है। खाद्यान्नों की खरीद और वितरण करने वाली सरकार की प्रमुख एजेंसी होने के नाते एफसीआई को गेहूं की गुणवत्ता को प्रमाणित करना चाहिये। क्योंकि आटे की गुणवत्ता गेहूं की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।