नई दिल्ली। फ्लिपकार्ट ऑनलाइन सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड ने कंपनी की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी वॉलमार्ट इंक के नेतृत्व वाले ग्रुप को बेचने वाले एक समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। यह सौदा लगभग 15 अरब डॉलर में पक्का हुआ है। इस मामले से सीधे जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अमेरिकन रिटेलर ने अपने इंटरनेशनल विस्तार के लिए एक भारी दांव लगाया है। प्रस्तावित सौदे के तहत, सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प फ्लिपकार्ट में अपनी संपूर्ण हिस्सेदारी को लगभग 20 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर एक इनवेस्टमेंट फंड के जरिये बेचेगा।
एक अन्य सूत्र ने बताया कि गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक वॉलमार्ट के साथ मिलकर नए निवेश में भागीदार बन सकती है। सूत्रों ने बताया कि यह सौदा अगले 10 दिनों में पूरा हो जाएगा क्योंकि कुछ शर्तों में अभी बदलाव हो सकता है और यह सौदा अभी निश्चित नहीं है।
इस सौदे में वॉलमार्ट ने अमेजन को पीछे छोड़ते हुए सफलता हासिल की है। अमेजन भी प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये फ्लिपकार्ट पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रही थी। अंतत: फ्लिपकार्ट के बोर्ड ने वॉलमार्ट के साथ सौदे को अपनी मंजूरी दी क्योंकि इस सौदे के लिए नियामकीय मंजूरिया हासिल करना आसान है। अमेजन भारत में दूसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है और यह फ्लिपकार्ट की प्रमुख प्रतिस्पर्धी भी है, ऐसे में नियामकीय मंजूरी मिलना मुश्किल होता।
इस सौदे के पूरा होने पर वॉलमार्ट भारत में प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी बन जाएगी। दुनिया की सबसे बड़ी रिेटेलर कंपनी अमेजन से कड़ा मुकाबला कर रही है। अमेरिका में ऑनलाइन शॉपिंग के कारण वॉलमार्ट अमेजन से पिछड़ गई है। अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन बाजार है।
सॉफ्टबैंक ने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार किया है। फ्लिपकार्ट, वॉलमार्ट और गूगल ने तत्काल कोई भी जवाब नहीं दिया है। अमेजन भी भारत में आक्रामक ढंग से अपने विस्तार में लगी हुई है। अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने भारत में 5.5 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।