नई दिल्ली। 2019 के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है, जिसका उपयोग वह विपक्षी पार्टियों का मूंह बंद करने में कर सकती है। फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के लिए अपने पूर्वानुमान को पहले के 7.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया है। अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में फिच ने वित्तीय परिस्थितियों को मजबूत करने, बढ़ते तेल बिल और कमजोर बैंक बैलेंस शीट को विकास के लिए प्रमुख बाधा बताया है।
फिच ने कहा कि दूसरी तिमाही के उम्मीद से बेहतर परिणामों के आधार पर हम वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को संशोधित कर 7.8 प्रतिशत कर रहे हैं, जो पहले 7.4 प्रतिशत था। वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुद्रा मूल्यह्रास के लिए केंद्रीय बैंक की अधिक सहनशीलता के बावजूद ब्याज दरों में अनुमान से अधिक बढ़ोतरी की गई है।
फिच ने कहा है कि अधिक मांग और रुपए के कमजोर होने के कारण मुद्रास्फीति भी बढ़ने का अनुमान है। वृद्धि अनुमान में यह संशोधन खासकर अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रहने के कारण किया गया है, जबकि फिच का अनुमान इसके 7.7 प्रतिशत रहने का था।
फिच ने वित्त वर्ष 2019-2020 और वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए अपने वृद्धि अनुमान में 0.2 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे 7.3 प्रतिशत कर दिया है।