नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच को चालू वित्त वर्ष में घरेलू वाहन मांग 20 प्रतिशत से अधिक गिरने का अनुमान है। इसकी वजह वाहन उद्योग के सामने सिर्फ कोविड-19 का संकट होना नहीं, बल्कि अन्य चुनौतियों का सामना करना भी है। फिच का कहना है कि लॉकडाउन नियमों में राहत के बाद जुलाई में वाहन मांग में थोड़ा सुधार हुआ है। लेकिन वाहन उद्योग को पेश आ रही दिक्कतें जस की तस बनी हुई हैं। फिच ने मंगलवार को एक रपट में कहा, ‘‘ घरेलू वाहन मांग के सामने कई चुनौतियां बनी रहेंगी। चालू वित्त वर्ष में संख्या के हिसाब से कुल वाहन उद्योग में 20 प्रतिशत से अधिक गिरावट आने का हमारा अनुमान है। यदि कोविड-19 महामारी का असर अधिक बुरा रहा है तो और गिरावट देखने को मिल सकती है।’’ देश में इसी साल अप्रैल से बीएस-6 उत्सर्जन मानक वाहनों की बिक्री अनिवार्य की गयी है। इससे वाहनों की लागत बढ़ी है। कोविड-19 महामारी से बाजार का संकट को और गहरा हुआ है।
रपट में कहा गया है कि हालांकि लोगों के बीच स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर निजी वाहनों का उपयोग बढ़ा है। लेकिन कीमतों में बढ़त कोरोना संकट की वजह से ऑटो लोन को लेकर बैंकों और फाइनेंस कंपनियों की अतिरिक्त सतर्कता और लोगों की आय पर असर जैसे कई वजहों से मांग पर दबाव बना रह सकता है।
पहली तिमाही में बिक्री में रिकॉर्ड गिरावट के बाद जुलाई में जून के मुकाबले यात्री वाहनों की बिक्री 73 फीसदी बढ़ी है। वहीं दोपहिया वाहनों की बिक्री 26 फीसदी बढ़ी। बिक्री में ये बढ़त लॉकडाउन में छूट की वजह से दर्ज की गई। इसके साथ ही यूटिलिटी व्हीकल में पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई। दूसरी तरफ कमर्शियल व्हीकल की मांग में लगातार गिरावट जारी है।