नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट के चलते 25 मार्च जारी लॉकडाउन ने भारत की अर्थव्यवस्था में ठहराव ला दिया है। रिजर्व बैंक भी इस साल 0 विकास दर की बात कह चुका है। कई अर्थशास्त्री भी भारत के लिए आने वाले वर्षों में कई निराशाजनक आंकड़े पेश कर चुके है। लेकिन इसी बीच रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के लिए एक सकारात्मक तस्वीर पेश की है। रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था फिर रफ्तार पकड़ सकती है।अगले साल भारत की अर्थव्यवस्था 9.5% की रफ्तार से बढ़ सकती है।
अपनी रिपोर्ट में फिच ने भारत की अर्थव्यवस्था में तेज उछाल की बात कही है, लेकिन यह भी आगाह किया है कि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था में और गिरावट नहीं आती है, तभी यह अच्छे दिनों की तस्वीर सामे आ सकती है। फिच के अनुसार कोरोनोवायरस महामारी पहले से अप्रैल में शुरू हुए वित्त् वर्ष 2020-21 में लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को सुस्ती की ओर ले जा रही है। फिच रेटिंग ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है।
फिच रेटिंग्स ने बुधवार को जारी एपीएसी सॉवरिन क्रेडिट ओवरव्यू में कहा, "महामारी ने भारत के विकास के दृष्टिकोण को काफी कमजोर कर दिया है और भारत को उच्च सार्वजनिक-ऋण के बोझ से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।" हांलांकि फिच ने कहा है कि "वैश्विक संकट के बाद, भारत की जीडीपी वृद्धि 'बीबीबी' श्रेणी के समकक्ष देशों की तुलना में उच्च स्तर पर लौटने की संभावना है, बशर्ते यह महामारी के परिणामस्वरूप वित्तीय क्षेत्र की सेहत में गिरावट से बचा जाए,"
फिच ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने 25 मार्च को लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों को रोकते हुए, खतरनाक कोरोनोवायरस का मुकाबला करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन की घोषणा की थी। लॉकडाउन को बार-बार बढ़ाया गया है, हालांकि कुछ सख्तियों को कम संक्रमण वाले क्षेत्रों में 4 मई से कम किया गया है। "हालांकि, नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं।"