नई दिल्ली। फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया है। फिच ने कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने आर्थिक सुधार में देरी पैदा की है। अपने एपीएसी सॉवरेन क्रेडिट ओवरव्यू में, फिच रेटिंग्स ने कहा कि भारत की बीबीबी निगेटिव सॉवरेन रेटिंग उच्च सार्वजनिक ऋण, एक कमजोर वित्तीय क्षेत्र और कुछ पिछड़े संरचनात्मक कारकों के खिलाफ ठोस विदेशी-रिजर्व बफर से अभी भी मजबूत मध्यम अवधि के विकास के दृष्टिकोण और बाहरी लचीलेपन को संतुलित करती है।
निगेटिव आउटलुक पर फिच रेटिंग्स ने कहा कि यह महामारी के झटके के कारण भारत के सार्वजनिक वित्त में तेज गिरावट के बाद ऋण क्षेत्र पर अनिश्चितता को दर्शाता है। फिच ने कहा कि उसने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी अनुमान को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फिच ने जून में इसके 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। जून में भी फिच ने अपने अनुमान को 12.8 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया था। वित्त वर्ष 2021-22 के अनुमानों की तुलना पिछले वित्तीय वर्ष में दर्ज 7.3 प्रतिशत के संकुचन और 2019-20 में 4 प्रतिशत की वृद्धि से की जाती है।
फिच ने कहा कि हमारे विचार में, कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की आर्थिक रिकवरी को पटरी से नहीं उतारा है बल्कि उसमें देरी पैदा कर दी है। इस वजह से हमनें वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 8.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
उच्च आवृत्ति संकेतक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (अप्रैल 2021-मार्च 2022) में एक मजबूत सुधार की ओर इशारा करते हैं, क्योंकि व्यावसायिक गतिविधि फिर से पूर्व-महामारी के स्तर पर लौट आई हैं। फिच ने हालांकि व्यापक राजकोषीय घाटा की बात कही है।
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