नई दिल्ली। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ने अपनी अलग-अलग रिपोर्ट में गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच संक्रमण में तेजी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सुधार होने में देरी हो सकती है। फिच ने भारत के लिए बीबीबी रेटिंग दी। उसने यह भी कहा कि कोरोना वायरस मामलों में तेजी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सुधार होने में देरी हो सकती है लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के विकास का पहिया पटरी से उतरेगा नहीं। फिच ने नकारात्मक परिदृश्य को बरकरार रखा है। यह कर्ज वृद्धि को लेकर लंबे समय तक अनिश्चिता बने रहने की स्थिति को प्रतिबिंबित करता है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 12.8 प्रतशत रहेगी, जो 2022-23 में नरम होकर 5.8 प्रतिशत पर आ जाएगी। वित्त वर्ष 2020-21 में वृद्धि दर में 7.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है। उसने कहा कि हालांकि हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों तेजी से 2021-22 के परिदृश्य के कमजोर होने का जोखिम है। संक्रमण के मामलों में तेजी से पुनरूद्धार में देरी हो सकती है लेकिन अर्थव्यवस्था के विकास का पहिया पटरी से उतरने की आशंका नहीं है। फिच का मानना है कि महामारी संबंधित पाबंदियां स्थानीय स्तर पर सीमित रहेंगी और यह 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन से कम कड़ी होगी। साथ ही टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जा रही है।
कोविड मामलों में तेजी, पाबंदियों से वृद्धि परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और मौद्रिक नीति समिति के अन्य सदस्यों ने कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और इसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण अनिश्चितताओं को देखते हुए नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करने और वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख बनाए रखने का निर्णय आम सहमति से किया। गुरुवार को जारी मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्योरे से यह जानकारी मिली।
गवर्नर ने एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक के दौरान कहा इस समय आर्थिक पुनरूद्धार को प्रभावी रूप से सुरक्षित बनाये रखने की जरूरत है ताकि यह व्यापक और टिकाऊ हो। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) बैठक के ब्योरे के अनुसार उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में उछाल तथा इसकी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर पाबंदियों से वृद्धि परिददृश्य के समक्ष अनिश्चितता पैदा हुई है।
दास ने कहा कि ऐसे परिवेश में पुनरूद्धार को समर्थन देने, उसे आगे बढ़ाने तथा मजबूत बनाने के लिए मौद्रिक नीति उदार बनी रहनी चाहिए। वृद्धि में जो गति आई है, हमें उसे वित्त वर्ष 2021-22 में बनाए रखने की जरूरत है। एमपीसी के अन्य सदस्य माइकल देबव्रत पात्रा (आरबीआई डिप्टी गवर्नर), मृदुल के सागर (आरबीआई के कार्यकारी निदेशक) और तीन बाह्य सदस्य. शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं। इन सभी ने रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में वोट किए। पात्रा ने कहा कि जबतक पुनरूद्धार और मजबूत तथा टिकाऊ नहीं होता, अर्थव्यवस्था के लिए मौद्रिक नीति समर्थन करने वाली होनी चाहिए।
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