नई दिल्ली। राजकोषीय घाटा के मोर्चे को लेकर भी मोदी सरकार के लिए बुरी खबर है। 2018-19 के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है। भारत का अप्रैल-अक्टूबर अवधि के लिए बजटीय राजकोषीय घाटा बजट अनुमानों का 102.4 प्रतिशत या 7.20 लाख करोड़ रुपए हो गया है। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 7.03 लाख करोड़ रुपए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य रखा था।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़े के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा उस वर्ष के लक्ष्य का 103.9 प्रतिशत था। केंद्र सरकार का कुल व्यय 16.54 लाख करोड़ रुपए (बजट अनुमान का 59.4 प्रतिशत), जबकि कुल आमद 9.34 लाख करोड़ रुपए (बजट अनुमान का 44.9 प्रतिशत) है।
इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि के कुल व्यय में राजस्व मद में 14.53 लाख करोड़ रुपए, जबकि पूंजीगत व्यय मद में 2.01 लाख करोड़ रुपए है। कुल आमद में 6.83 लाख करोड़ रुपए शुद्ध कर राजस्व से और 2.24 लाख करोड़ रुपए गैर कर राजस्व से शामिल हैं।