नई दिल्ली। भारत में ट्रेन लेट होना अब पुरानी कवाहत हो गई। लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे ने अपनी इस सबसे बड़ी खामी को दूर करते हुए एक बड़ा इतिहास रच दिया है। 1 जुलाई को देश में चल रही है 201 ट्रेनें अपने निर्धारित समय के अनुसार स्टेशनों पर पहुंची। रेलवे का कहना है कि भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सभी 100 प्रतिशत ट्रेनें समय की पाबंदी को निभाने में सफल रही हैं और अपने गंतव्य स्थान पर तय समय पर पहुंची। इससे पहले 23 जून 2020 को सिर्फ एक ही ट्रेन लेट हुई थी, जिसकी वहज से समय की पाबंदी 99.54 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
ये अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारतीय रेल ने एक जुलाई यानि कल 201 ट्रेनों का परिचालन किया। इस दौरान ट्रेन बिलकुल समय से छूटी और एकदम निर्धारित समय पर अपने गंतव्य स्टेशन पर पहुंची। कुल मिलाकर टाइमिंग के मामले में रेल विभाग ने 100 प्रतिशत सफलता हासिल की। जानकारों का कहना है कि भारतीय इतिहास में अब तक रेलवे को ये सफलता नहीं मिली थी। हालांकि 23 जून को भी रेलवे ने अपनी लगभग सभी ट्रेनों को समय पर ही संचालित किया। लेकिन उस दौरान 99.54 प्रतिशत गाड़ियां ही समय पर अपने गंतव्य तक पहुंच पाई थी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे का टाइमिंग को लेकर हमेशा ही नाम खराब रहा है। ज्यादातर ट्रेनों का लेट होना आम बात रही है। लेकिन पिछले कुछ सालों ने रेलवे ने अपने इस लेट-लतीफी को कम करने के लिए खूब मेहनत की है। पिछले कुछ महीनों में रेलवे अपनी टाइमिंग को लेकर भी पाबंद है। ट्रेनों के लेट होने के घंटों में लगातार गिरावट देखी गई है। भारतीय रेलवे का कहना है कि रेलवे के इतिहास में पहली बार समय की पाबंदी 100 प्रतिशत हासिल की गई।
आईआरसीटीसी अपने प्राइवेट ट्रेनों के लेट पर यात्रियों को मुआवजा देती है। तेजस एक्सप्रेस के लेट होने पर यात्रियों को मुआवजा मिलता है। ट्रेन के लेट होने की स्थिति में यात्रियों को आंशिक रिफंड किया जाता है। अगर ट्रेन 1 घंटे से थोड़ी ज्यादा लेट होती है तो यात्रियों को 100 रुपए और दो घंटों से ज्यादा लेट होने पर 250 रुपए का रिफंड दिया जाता है।