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कोरोना संकट के बीच हेल्थ केयर सेक्टर को लेकर बड़ी राहत, मिलेगा आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना का फायदा

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को तीन लाख करोड़ रुपये की आपात रिण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का दायरा बढ़ाते हुये उसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी शामिल कर लिया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 17, 2021 9:39 IST
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Photo:CORONAVIRUS

कोरोना संकट के बीच हेल्थ केयर सेक्टर को लेकर बड़ी राहत, मिलेगा आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना का फायदा

नयी दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को तीन लाख करोड़ रुपये की आपात रिण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का दायरा बढ़ाते हुये उसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी शामिल कर लिया। योजना में कामत समिति द्वारा पहचान किये गये 26 क्षेत्र भी शामिल हैं। सरकार ने पिछले महीने ही योजना की समयसीमा को तीन माह के लिये बढ़ाते हुये 30 जून तक कर दिया है। इसके साथ ही इसका दायर बढ़ाते हुये इसमें आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन, अवकाश और खेलकूद क्षेत्र को भी इसमें शामिल कर लिया गया। यानी इन क्षेत्रों को भी ईसीएलजीएस योजना का लाभ उठाने की अनुमति होगी। 

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वित्त मंत्रालय ने अपने ताजा ट्वीट में कहा है, ‘‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के एसएमए-1 कर्जदार और 26 अन्य उच्च दबाव से जूझ रहे क्षेत्र (जिनकी पहचान कामत समिति ने की है) अब ईसीएलजीएस 2.0 के तहत लाभ उठाने को पात्र होंगे।’’ एसएमए यानी विशेष उल्लेख वाले खाते उन कर्ज खातों को कहा जाता है जिनमें काफी दबाव है और जिनके निकट भविष्य में एनपीए या फिर दबाव वाली संपत्ति वाले खाते बनने जाने की आशंका है। ईसीएलजीएस 3.0 के तहत दबाव झेल रही पात्र कंपनियों को 29 फरवरी 2020 तक उनके सभी संस्थानों के बकाये कर्ज का 40 प्रतिशत तक रिण उपलबध कराने की सुविधा होगी। 

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योजना के तहत दिये जाने वाले रिण की अवधि छह साल होगी जिसमें दो साल की रोक अवधि भी शामिल होगी। यानी कर्ज लेने के पहले दो साल कोई किस्त नहीं चुकानी होगी उसके बाद चार साल में कर्ज का भुगतान करना होगा। योजना के तहत फरवरी 2021 के अंत तक वाणिज्यक बैंकों और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने तीन लाख करोड़ रुपये में से 2.46 लाख करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया जा चुका है। 

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शुरुआत में यह योजना अक्टूबर 2020 तक वैद्य थी जिसे बाद में नवंबर अंत तक बढ़ा दिया गया। उसके बाद आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज के तहत इसे 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया और इसमें कामत समिति द्वारा सुझाये गये 26 दबाव वाले क्षेत्रों को शामिल कर लिया गया। के वी कामत समति का गठन रिजर्व बैंक ने किया था। 

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