नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के उन बैंकों में 14,500 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश अगले कुछ दिनों में करेगा, जो अभी आरबीआई के त्वरित सुधार कार्रवाई (PCA) फ्रेमवर्क के अधीन हैं। इन बैंकों की वित्तीय सेहर सुधारने के लिए यह फैसला लिया गया है। इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक वर्तमान में पीसीए फ्रेमवर्क में है, जिसके कारण इनपर तमाम प्रतिबंध लगे हुए हैं। इनमें नए ऋण न देने, प्रबंधन मुआवजा और डायरेक्टर्स की शुल्क आदि शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने कैपिटल इनफ्यूजन के लिए संभावित उम्मीदवार बैंकों के नामों को अंतिम रूप दे दिया है। सूत्रों ने बताया कि यह पूंजी निवेश अगले कुछ दिनों में होगा। सूत्रों ने बताया कि पूंजीकरण के इस चरण में सबसे ज्यादा फायदा उन बैंकों को होगा, जो अभी आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के अधीन हैं।
कैपिटल इनफ्यूजन से इन बैंकों को आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ोदा, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक – ने पहले ही विभिन्न बाजार स्रोतों से पूंजी जुटाई है।
चालू वित्त वर्ष के लिए, सरकार ने पीएसबी में कैपिटल इनफ्यूजन के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। 12 सार्वजनिक बैंकों के बीच पंजाब एंड सिंध बैंक को सबसे ज्यादा 5,500 करोड़ रुपये पिछले साल नवंबर में दिए गए थे।
इससे पहले एलआईसी के नियंत्रण वाला आईडीबीआई बैंक आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर आया है। यह पिछले चार से पीसीए में था। आईडीबीआई बैंक के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार आया है। आरबीआई ने आईडीबीआई बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में मई 2017 में रखा था।
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