नयी दिल्ली। सरकार ने आज शनिवार को कहा कि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 2024-25 तक 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश बड़ी योग्य ढांचागत परियोजनाओं की पहचान करने के लिए एक उच्च स्तरीय कार्यबल (समिति) गठित किया है। यह समिति अगले 5 साल में 1.4 ट्रिलियन डॉलर का निवेश बढ़ाने के लिए रोडमैप तैयार करेगी।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस कार्यबल की अगुवाई आर्थिक मामलों के सचिव करेंगे। कार्यबल 100 लाख करोड़ रुपए के 'नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन' का खाका खींचेगा। इसमें नयी परियोजनाओं के साथ ही पुरानी परियोजनाओं का विस्तार भी शामिल होगा। प्रत्येक परियोजना की लागत कम से कम 100 करोड़ रुपए से अधिक होगी।
कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल होंगे। कार्यबल उन परियोजनाओं की पहचान करेगा जो तकनीकी रूप से व्यावहारिक और आर्थिक रूप से वहनीय हो तथा जिन्हें 2019-20 में शुरू किया जा सके। इसके अलावा कार्यबल को उन परियोजनाओं की सूची बनाने के लिए भी कहा गया है जिन्हें 2021 से 2025 के बीच के पांच वित्तवर्षों में शुरू किया जा सके।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गठित यह कार्यबल 2019-20 में निवेश के लिए ली जा सकने वाली परियोजनाओं पर 31 अक्टूबर 2019 तक तथा अगले पांच वित्त वर्षों के लिये दिसंबर के अंत तक रिपोर्ट सौंपेगा। मंत्रालय ने कहा कि देश को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 2019-20 से 2024-25 तक करीब 1,400 अरब डॉलर यानी 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। पिछले एक दशक में यानी 2008 से 2017 के दौरान भारत ने बुनियादी संरचना पर करीब 1,100 अरब डॉलर खर्च किया है।
मंत्रालय ने कहा कि बुनियादी संरचनाओं में सालाना निवेश बढ़ाना एक चुनौती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की देश की आर्थिक वृद्धि की यात्रा में बुनियादी संरचना की कमी का रोड़ा नहीं आए। मंचालय ने कहा है कि कार्यबल इस दौरान हर वित्त वर्ष के लिए प्रारंभ करने योग्य परियोजनाओं की पहचान करेगी। कार्यबल इन पर वार्षिक निवेश/पूंजीगत लागत का आकलन करेगा तथा संबंधित मंत्रालयों को वित्त पोषण के तौर तरीकों और कार्य की निगरानी करने के बारे में सुझाव देगा ताकि लागत व समय न बढ़े। जिन परियोजनाओं में निजी निवेश की आवश्यकता होगी उनका समुचित प्रचार किया जाएगा। उनके लिए इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) और राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) के जरिए निवेश जुटाने की व्यवस्था की जा सकती है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, साल 2024-25 तक देश की जीडीपी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए देश में 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 100 लाख करोड़ से अधिक के निवेश की जरूरत है। इसके लिए एक टास्क फोर्स समिति का गठन किया गया है, जो निवेश के रोडमैप को तैयार करेगी। यह समिति अपनी पहली रिपोर्ट 31 अक्टूबर तक देगी। इस रिपोर्ट में 2019-20 के निवेश का लक्ष्य होगा। समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट 31 दिसंबर तक सौंपेगी, इस रिपोर्ट में 2024-25 तक के निवेश का लक्ष्य होगा।
इस टास्क फोर्स समिति की अगुवाई डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमी अफेयर्स (DEA) सेक्रेटरी करेंगे। समिति में नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के सीनियर अधिकारी भी शामिल होंगे। ये समिति इंफ्रास्टकचर प्रोजेक्ट की पहचान करेगी और इन प्रोजेक्ट्स पर आने वाली खर्च की रिपोर्ट तैयार करेगी। ये बाकी मंत्रालयों को फंड जुटाने के रास्ते तलाशने में भी मदद करेगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगे- पीएम मोदी
मुंबई में मेट्रो और अन्य कई परियोजनाओं के शिलान्यास के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन कहा कि आज जब देश 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है, तब हमें अपने शहरों को भी 21वीं सदी की दुनिया के अनुसार ही बनाना होगा। इसी सोच के साथ हमारी सरकार अगले 5 साल में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि मुंबई में आज 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कार्य शुरू हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा देश को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए देश को 21वीं सदी के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त करना आवश्यक है। आज देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को एक समग्र तरीके से विकसित करने पर काम चल रहा है। टुकड़ों-टुकडों में नहीं एक भारत-श्रेष्ठ भारत के नजरिए के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।