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विवादास्‍पद FRDI बिल पर सरकार ने दी सफाई, नहीं डूबेगा बैंकों में जमा आम लोगों का पैसा

फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI) को लेकर हंगामे के बीच वित्‍त मंत्रालय ने भरोसा जताया है कि फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल यानि एफआरडीआई बिल में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: December 08, 2017 9:28 IST
Arun Jaitley on FRDI bill- India TV Paisa
Photo:PTI Arun Jaitley on FRDI bill

नई दिल्‍ली। फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI) को लेकर हंगामे के बीच वित्‍त मंत्रालय ने भरोसा जताया है कि फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल यानि एफआरडीआई बिल में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। मंत्रालय ने कहा है कि जमाकर्ताओं के पैसों पर कोई खतरा नहीं है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट किया है कि प्रस्तावित एफआरडीआई बिल स्थायी समिति के पास लंबित है। उन्होंने कहा है कि सरकार का मकसद वित्तीय संस्थाओं और जमाकर्ताओं के हितों की पूरी हिफाजत करना है और सरकार अपने इस मकसद को लेकर वचनबद्ध है।मंत्रालय ने साफ किया है कि डिपॉजिट पर 1 लाख रुपये तक का बीमा मिलता रहेगा।

दरअसल एफआरडीआई बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। बिल में जमाकर्ताओं की रकम का इस्तेमाल दिवालिया की स्थिति या मुसीबत से गुजर रहे बैंक की मदद के लिए इस्तेमाल में लाई जाने का प्रस्ताव है। फिलहाल डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गैरंटी कॉर्पोरेशन एक्ट के तहत 1 लाख रुपए तक के डिपॉजिट को इंश्योर किया जाता है।

15 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI) को पारित करवाने की तैयारी में है। FRDI बिल लोकसभा में इसी साल अगस्त में पेश किया गया था। अब पूरी संभावना है कि 15 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में इसे सदन पटल पर रखा जाएगा। विधेयक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। इस कॉरपोरेशन की स्थापना 1960 के दशक में हुई थी। कॉरपोरेशन इस बात की गारंटी देता है कि बैंक अगर दिवालिया हो जाए तो जमाकर्ता को 1 लाख रुपए तक की रकम का भुगतान किया जाएगा। आखिरी बार सरकार ने इसपर 1993 में पुनर्विचार किया था। लेकिन प्रस्तावित विधेयक में गांरटीशुदा भुगतान के मसले पर कुछ नहीं कहा गया है। इस वजह से जमाकर्ताओं को बैंक में रखी गई अपनी राशि को लेकर भय सता रहा है।

सरकार ने सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन (पुनर्पूंजीकरण) के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए देने का वादा किया है। दिवालिया और शोधन अक्षमता संहिता (इन्सोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) के जरिए बैंकों का उनके डूबे हुए कर्ज के एवज में हेयरकट ( संपदा के मोल में कमी) किया जाना है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2016 की फरवरी के अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार एक ऐसी रूपरेखा बनाना चाहती है जिससे बैंकिंग की संस्थाओं के बरताव में बेहतर अनुशासन कायम हो साथ ही सरकार सार्वजनिक धन की हिफाजत के लिए कड़े प्रावधान बनाना चाहती है। वित्तमंत्री के ऐसा कहने के बाद 2016 के मार्च में सेबी के मौजूदा चेयरमैन अजय त्यागी की अध्यक्षता में एक समिति बनी। अजय त्यागी उस वक्त आर्थिक मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर थे। 2016 के सितंबर महीने में इस समिति ने प्रावधानों का एक मसौदा पेश किया।

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