नयी दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि उसके व्यय विभाग द्वारा जून माह के वेतन वितरण के बारे में 18 जून 2019 को जारी आदेश व्यय विभाग से जुड़े कुछ कार्यालय पर ही लागू है और यह अस्थायी प्रकृति का है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में मंत्रालय ने आम जनता को सावधान किया है कि वह इस आदेश को आगे प्रसारित नहीं करें क्योंकि यह गोपनीय प्रकृति का आदेश है और इस पर लागू विधि प्रावधानों के अंतर्गत मामले में दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। मंत्रालय के अनुसार, पाया गया है कि वित्त मंत्रालय से व्यय विभाग से जुड़ा एक आंतरिक गोपनीय कार्यालय आदेश विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित हो रहा है।
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मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह बात ध्यान में आई है कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग से जुड़ा एक आंतरिक गोपनीय कार्यालय आदेश विभिन्न सोशल मीडिया मंचों में प्रसारित हो रहा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जून माह के वेतन वितरण से संबंधित उसका 18 जून 2019 का आदेश केवल व्यय विभाग से संबद्ध लेखा महानियंत्रक कार्यालय (सीजीए) और पीएफएमएस (Public Financial Management System) परियोजना प्रकोष्ठ कार्यालयों पर लागू है, ताकि लेखानुदान की सीमा से आगे बढ़ने से बचा जा सके। लेखानुदान सीमा से आगे बढ़ने से बचाव के चलते इस आदेश को जारी किया गया है जो अस्थायी प्रकृति का है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि समान्य जनता को पूर्व सूचना और चेतावनी दी जाती है कि वह इस आदेश को प्रचारित न करें, क्योंकि यह गोपनीय है और विधि संबंधी लागू प्रावधानों के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
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सूत्रों ने बताया कि 18 जून के आदेश में व्यय विभाग ने फैसला किया है कि समूह ए और बी श्रेणी के अधिकारियों का जून माह का वेतन 2019- 20 का पूर्ण बजट पारित होने के बाद जारी किया जायेगा। यह कदम सरकार के खर्च को संसद में पारित अंतरिम बजट की सीमाओं के भीतर रखने के लिये उठाया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2019- 20 का पूर्ण बजट लोकसभा में पांच जुलाई को पेश करेंगी।