नई दिल्ली। सरकार ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों में बेकार पड़ी वस्तुओं को बेचने की योजना बना रही है। गैर-जरूरी परिसंपत्तियों को बेचने में संबंधित मंत्रालयों और विभागों की मदद करने के लिए वित्त मंत्रालय एक रुपरेखा तैयार कर रहा है। वितत मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) परिसंपत्ति को बेचने की रुपरेखा का खाका तैयार कर रहा है। इससे विभिन्न मंत्रालयों को अपने केंद्रीय लोक उपक्रमों की गैर-जरूरी परिसंपत्तियां बेचने में मदद मिलेगी। गैर-जरूरी परिसंपत्तियों में केंद्रीय लोक उपक्रमों की ऐसी संपत्तियां शामिल हैं जो उनके मुख्य कारोबार से अलग हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ यह रुपरेखा मंत्रालयों के लिए एक व्यापक दिशानिर्देश के तौर पर काम करेगी, जिससे उन्हें अपने मंत्रालयों के तहत आने वाले लोक उपक्रमों की गैर-जरूरी परिसंपत्तियों की पहचान करने और उसकी बिक्री प्रक्रिया को प्रभावी एवं पारदर्शी तरीके से पूरा करने में मदद मिलेगी।’’ दीपम ने विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा के बाद शुरुआत के लिए नौ लोक उपक्रमों के पास मौजूद व्यापक भूमि की पहचान की है। इन उपक्रमों के विनिवेश से पहले इन परिसंपत्तियों को बेचने की कोशिश की जाएगी।
इन 9 सार्वजनिक उपक्रमों में होगी नीलामी
अधिकारी ने बताया कि इन परिसंपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया को लोक उपक्रम पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाला मंत्रालय पूरा करेगा। इन नौ लोक उपक्रमों में पवन हंस, स्कूटर्स इंडिया, एयर इंडिया, भारत पंप एंड कंप्रेसर्स, प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफेब, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, ब्रिज एंड रूफ कंपनी और हिंदुस्तान फ्लूओरोकार्बन्स शामिल हैं। इनकी गैर-जरूरी परिसंपत्तियों को बेचे जाने की योजना है।
जमीन और फ्लैटों की होगी बिक्री
इनमें से अधिकतर परिसंपत्तियां इनके स्वामित्व वाले भूखंड, रिहायशी फ्लैट इत्यादि हैं। इसमें एयर इंडिया की घाटे में चल रही चार अनुषंगी कंपनियां शामिल हैं जिनमें एयरलाइन एलाइड सर्विसेस लिमिटेड और होटल कारपोरेशन ऑफ इंडिया शामिल है। इसके अलावा दिल्ली में कंपनी का मुख्यालय और देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद भूखंड और इमारतें शामिल हैं। कंपनी के पास मौजूद कई सारे चित्र, पेंटिंग इत्यादि की भी बिक्री की जाएगी।