नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से अपनी घरेलू और विदेशी शाखाओं को तर्कसंगत बनाने के लिए कहा है। मंत्रालय ने सुधार प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में बैंकों की वित्तीय हालत को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि पूंजी बचत प्रयासों के तहत बैंकों से घाटे में चल रही अपनी घरेलू और विदेशी शाखाओं को बंद करने के लिए कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि घाटे में चल रही शाखाओं को चलाने में कोई समझदारी नहीं है बल्कि इससे बैलेंसशीट पर बोझ बढ़ता है। इसलिए बैंकों को न केवल बड़ी बचत पर ध्यान देना चाहिए बल्कि समग्र दक्षता के लिए इस तरह की छोटी-छोटी बचत पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) सहित कई बैंकों ने इस तरह की पहल पर पहले ही काम शुरू कर दिया है।
इंडियन ओवरसीज बैंक ने देश में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को तर्कसंगत बनाते हुए अपनी मौजूदा 59 कार्यालयों को घटाकर 10 कर दिया है इसके पीछे बैंक का उद्देश्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग और एडमिनिस्ट्रेटिव लागत को कम करना है। विदेशी शाखाओं के संबंध में मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि एकीकरण पर चर्चा करें और कुछ अलाभकारी शाखाओं को बंद करने का फैसला करें।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय का मानना है कि एक ही देश में कई बैंकों की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे में 5-6 बैंक आपस में मिलकर एक बड़ा बैंक बना सकते हैं जिससे पूंजी की बचत होगी और अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर समर्थन दे सकेंगे। सब्सिडियरी मॉडल पर मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि अधिकतम रिटर्न वाले बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी शाखाओं को बंद करें या सब्सिडियरी को बेचें।
तर्कसंगत रणनीति के हिस्से के रूप में पंजाब नेशनल बैंक अपनी यूके सब्सिडियरी पीएनजी इंटरनेशनल में हिस्सेदारी बेचने की संभावनाएं तलाश रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा और एसबीआई भी एकीकरण के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा 107 शाखाओं के जरिये 24 देशों में उपस्थित है। इसकी 15 देशों में 59 शाखाएं हैं, जबकि 47 शाखाओं का संचानल बैंक की 8 विदेशी सब्सिडियरी के माध्यम से किया जा रहा है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की 36 देशों में 195 विदेशी शाखाएं हैं।