नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय कोरोना वायरस की वजह से बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिये दूसरे राहत पैकेज की तैयारी में है। महामारी का संक्रमण रोकने के लिए देश में 25 मार्च से 21 दिन का लॉकडाउन लगा दिया गया है। इसकी वजह से तमाम आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं। सरकार ने पिछले सप्ताह ही गरीबों के लिये मुफ्त खाद्यान्न और नकद हस्तांतरण के रूप में 1.70 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था। पाबंदी के दौरान लोगों की मदद के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत यह पैकेज लाया गया।
सूत्रों ने बताया कि अब सरकार अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों के लिये मदद के उपाय तय करने में लगी है जिनपर लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पड़ा है। इस पैकेज की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही नागरिकों और विशेष तौर से गरीबों तक राहत पहुंचाने के लिये कुछ और उपाय भी किये जा सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गठिति अधिकार प्राप्त समूह के साथ वित्त मंत्रालय इस मामले में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पीएमओ ने पिछले सप्ताह ही आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समूह का गठन किया था। यह समूह दैनिक आधार पर स्थिति की समीक्षा कर रहा है। यह समूह न केवल अर्थव्यवस्था के सभी पहलू को देख रहा है बल्कि लॉकडाउन की वजह से रोजी रोजगार से हाथ धो बैठे लोगों की जरूरतों पर भी गौर कर रहा है।
चक्रवर्ती के अलावा इस समूह में व्यय सचिव टी वी सोमनाथन, श्रम सचिव हीरालाल समारिया, ग्रामीण विकास सचिव राजेश भूषण, वित्तीय सेवाओं के विभाग में अतिरिक्त सचिव पंकज जैन, प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव अरविंद श्रीवास्तव और मंत्रिमंडलीय सचिवालय में उप- सचिव आम्रपाली काटा शामिल हैं। यह समूह ग्रामीण क्षेत्र की परेशानी पर भी गौर कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह समूह सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों (एमएसएमई), होटल एवं सर्विस सेक्टर, नागरिक उडड्यन, कृषि और सहायक क्षेत्र की समस्याओं पर गौर कर रहा है और इन क्षेत्रों से मिली ताजा जानकारी के आधार पर ही प्रोत्साहन पैकेज पर काम कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि पैकेज तैयार हो जाने के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर विचार किया जायेगा और उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसकी घोषणा कर सकती हैं। यह घोषणा रोक की समाप्ति के करीब हो सकती है ताकि औद्योगिक गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाया जा सके और जितनी जल्दी संभव हो सके अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सके।