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वित्त मंत्री ने एमएसएमई के बकाए के भुगतान की समीक्षा की

एमएसएमई मंत्रालय ने बयान में कहा कि सबसे अधिक 5,100 करोड़ रुपये की खरीद अक्टूबर में हुई और इस दौरान 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: December 10, 2020 22:23 IST
वित्त मंत्री- India TV Paisa
Photo:PTI

वित्त मंत्री

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बकायों के भुगतान की स्थिति की अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने केंद्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) और केंद्र सरकार की एजेंसियों पर छोटी मझोली इकाइयों के बकायों की विशेष रूप से समीक्षा की । बैठक में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देवाशीष पांडा, एमएसएमई सचिव ए के शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। इस साल मई में घोषित किए गए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार की एजेंसियों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) को एमएसएमई का बकाया 45 दिनों में चुकाना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘मई 2020 से, भारत सरकार, विशेष रूप से एमएसएमई मंत्रालय द्वारा इन बकायों के भुगतान के लिए नियमित रूप से ठोस उपाए किए गए हैं। एमएसएमई को दी जाने वाली राशि के भुगतान के लिए खासतौर से सीपीएसई और केंद्र सरकार की एजेंसियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’ बयान के मुताबिक इसके फलस्वरूप केंद्र सरकार की एजेंसियों और सीपीएसई ने पिछले सात महीनों में एमएसएमई को ​​21,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है। एमएसएमई मंत्रालय ने बयान में कहा कि सबसे अधिक 5,100 करोड़ रुपये की खरीद अक्टूबर में हुई और इस दौरान 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।

सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रहा है जिससे छोटे और मझौले उद्योगों की नकदी की समस्या खत्म हो और वो कारोबार में तेजी दर्ज कर सके। कल ही एक सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करना है। वर्तमान में देश के जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र की कुल भागीदारी 30 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ‘एमएसएमई का देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान है। हमारे कुल निर्यात में से 48 प्रतिशत योगदान एमएसएमई करता है। साथ ही 11 करोड़ रोजगार भी सृजित करता है। इसलिए यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब सरकार का जीडीपी में इसके योगदान को 50 प्रतिशत तक ले जाने और निर्यात में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी को बढ़ाकर 60 प्रतिशत तक करने का इरादा है।

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