नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सोमवार को सार्वजनिक बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक कर रही हैं। उन्होंने कहा कंपनी अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है ताकि यह दंडात्मक न लगे, सरकार बड़े सुधारों पर काम करती रहेगी।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि वह बड़े सुधारों पर काम करना जारी रखेंगी। भारत विभिन्न ऊर्जा समझौते के तहत की गई अनुबंधात्मक प्रतिबद्धताओं का सम्मान करेगा। उन्होंने कहा कि बैंक आंशिक ऋण गारंटी योजना तथा पूंजी दायरा बढ़ाने के लिए बाजार से पूंजी जुटाने को लेकर रिपोर्ट कार्ड पेश कर सकते हैं।
गौरतलब है कि यह एक महीने से भी कम समय में सार्वजनिक बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ वित्तमंत्री की यह दूसरी बैठक है। बैठक में ऋण वितरण में प्रगति समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (एनबीएफसी) तथा लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए ऋण उपलब्धता की समीक्षा किए जाने का अनुमान है।
वित्त मंत्रालय आज से शुरू करेगा बजट 2020-21 तैयारी की प्रक्रिया, 1 फरवरी को पेश होगा बजट
वित्त मंत्रालय 2020-21 के सालाना बजट की तैयारी प्रक्रिया आज यानी सोमवार से शुरू करेगा। मंत्रालय को अन्य बातों के अलावा आर्थिक वृद्धि में नरमी और राजस्व संग्रह में कमी के महत्वपूर्ण मसलों का समाधान करना है। यह नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट होगा।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की बजट इकाई के बजट परिपत्र (2020-21) के अनुसार, 'बजट पूर्व/संशोधित अनुमान को बैठकें 14 अक्टूबर 2019 से शुरू होगी...।' व्यय सचिव की अन्य सचिवों और वित्तीय सलाहकारों के साथ चर्चा पूरी होने के बाद वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट अनुमानों को अस्थायी तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा। बजट पूर्व बैठकें 14 अक्टूबर से शुरू होगी और नवंबर के पहले सप्ताह तक जारी रहेंगी।
वित्त वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने फरवरी के अंत में पेश होने वाले बजट की वर्षों से चले आ रही परंपरा को समाप्त किया है। तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पहली बार 2018-19 का बजट एक फरवरी 2017 को पेश किया था। इससे मंत्रालयों को बजट राशि वित्त वर्ष की शुरूआत से आबंटित की जाती है। इससे जहां एक तरफ सरकारी विभाग बेहतर तरीके से व्यय की योजना बना पाते हैं वहीं कंपनियों को व्यापार और कराधान योजना बनाने में मदद मिलती है।