नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल को बजट के बाद की परंपारगत बैठक को आज (सोमवार, 8 जुलाई) राजधानी दिल्ली में संबोधित करेंगी। वह आम बजट 2019-20 में राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए उठाये गए कदमों सहित केंद्रीय बजट के अन्य प्रमुख बिन्दुओं को इस बैठक में रेखांकित करेंगी। बजट के बाद होने वाली ये बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बता दें कि देश के वित्तीय क्षेत्र की दिक्कतों को दूर करने की जितनी कोशिश सरकार को करनी थी वह आम बजट में की जा चुकी है। अब आगे की जिम्मेदारी आरबीआई को संभालनी होगी।
उल्लेखनीय है कि फरवरी में पेश 2019-20 को पेश अंतरिम बजट अनुमान की तुलना में शुक्रवार पांच जुलाई को पेश पूर्व बजट में 6,000 करोड़ रुपये अधिक राजस्व की प्राप्ति का अनुमान लगाया गया है। इससे राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर सीमित रखने का अनुमान है। फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य था।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 तक राजकोषीय घाटे (कुल व्यय और आमदनी के बीच के अंतर) को कम करके जीडीपी के तीन प्रतिशत पर सीमित करने और प्राथमिक घाटे को पूरी तरह से खत्म करने का खाका पेश किया है। किसी वर्ष विशेष में राजकोषीय घाटे और ब्याज खर्च के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्री केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल को बजट में की गई अन्य घोषणाओं के बारे में भी अवगत कराएंगी।
इस बार बजट में वित्तीय क्षेत्र को लेकर तीन ऐसी घोषणाएं हैं जिन्हें आरबीआई को लागू करना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि एनबीएफसी को लेकर आरबीआई को ज्यादा अधिकार देने का प्रस्ताव। इसके बाद हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) की निगरानी की जिम्मेदारी आरबीआइ को सौंप दिया है। तीसरा महत्वपूर्ण सुझाव है कि बैंकिंग सेक्टर में गवर्नेंस को सशक्त बनाने संबंधी नियमों को बनाना। सरकार के निर्देश के बाद अब आरबीआइ को उक्त तीनों मामले में विस्तृत दिशा-निर्देश लागू करना करना है। एनबीएफसी व एचएफसी संबंधी फैसले को आटोमोबाइल, हाउसिंग, उपभोक्ता सामान की मांग से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
अब RBI को निभानी होगी बड़ी भूमिका
जानकारों का कहना है कि आरबीआई के तहत आने के बाद अब बैंक एनबीएफसी व एचएफसी को फंड मुहैया कराने में ज्यादा दरियादिली दिखाएंगे। इससे ये ज्यादा होम लोन, आटो लोन व अन्य कर्ज बांट सकेंगे। वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों के लेकर भी कुछ नए नियम बनाने की जिम्मेदारी आरबीआई को सौंप दी है। मसलन, एक ही बैंक खाते से दूसरे किसी भी बैंकों की सेवा हासिल करने संबंधी घोषणा को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी आरबीआइ को ही निभानी होगी।
माना जा रहा है कि ये सारे मुद्दे सोमवार को वित्त मंत्री व आरबीआइ सेंट्रल बोर्ड की बैठक में उठाया जाएगा। इस बैठक में ब्याज दरों के हालात पर भी चर्चा हो सकती है। कई आर्थिक संस्थानों ने बजटीय प्रावधानों को देखते हुए अनुमान लगाया है कि इससे आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती करना भी आसान होगा। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस तरह से अगले पांच वर्षो तक 8 फीसद विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है उसे देखते हुए घरेलू ब्याज दरों में और गिरावट की दरकार है।