वाशिंगटन। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि निवेशकों को पूरी दुनिया में भारत से बेहतर कोई जगह नहीं मिलेगी जहां लोकतंत्र में यकीन करने के साथ ही पूंजीवाद का सम्मान किया जाता है। सीतारमण ने अमेरिका से दुनियाभर के निवेशकों को भरोसा दिलाया है कि निवेश के लिए इस वक्त भारत से बेहतर कोई बाजार नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्यालय से दुनियाभर के निवेशकों को आश्वस्त किया कि सरकार और सुधार की राह पर अग्रसर है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) मुख्यालय में बातचीत के एक सत्र में सीतारमण ने दुनिया भर के निवेशकों को आश्वासन दिया कि सरकार नये सुधार लाने पर निरंतर काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'यह (भारत) आज भी सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था है। इसके पास उत्कृष्ट कुशलता वाली श्रमशक्ति और ऐसी सरकार है जो सुधार के नाम पर जरूरी चीजों और इन सबसे ऊपर लोकतंत्र एवं विधि के शासन पर लगातार काम कर रही है ।'
निवेशक भारत में निवेश क्यों करें, इस सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि भले ही अदालती व्यवस्था में थोड़ी देरी हो जाती है लेकिन भारत एक पारदर्शी एवं मुक्त समाज है। उन्होंने कहा कि भारत में कानून व्यवस्था के साथ काम होता है और बहुत तेजी से सुधार हो रहे हैं, विलंबों को कम करने की दिशा में भी।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघों के संघ (फिक्की) और अमेरिका भारत रणनीतिक एवं साझेदारी फोरम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'इसलिए आपको भारत जैसा लोकतंत्र पसंद और पूंजीवाद का सम्मान करने जैसा स्थान नहीं मिलेगा।'
बड़ी बीमा कंपनियों द्वारा इंश्योरेंस सेक्टर क्षेत्र में निवेश पर लगी सीमा हटाने की अपील पर उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि सीमा हटाने के अलावा इस क्षेत्र की और क्या उम्मीदें हैं। सीतारमण ने कहा कि उनका रुख इसके प्रति लचीला है और वे उन्हें ब्यौरा भेज सकते हैं। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि वह इस वक्त उन्हें किसी तरह का आश्वासन नहीं दे सकती हैं लेकिन इस दिशा में काम करेंगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय घाटे को और नहीं बढ़ने देने को लेकर प्रतिबद्ध है और सरकार 'संकटग्रस्त' क्षेत्रों की समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, 'इस वर्ष जुलाई में पूर्ण बजट पेश पेश हुआ। उससे पहले इसी वर्ष की शुरुआत में अंतरिम बजट भी पेश किया था। लेकिन सरकार ने सुधार संबंधी कदम उठाने के लिए अगले वर्ष फरवरी में पेश होने वाले बजट का इंतजार नहीं किया। लगभग हर 10 दिन के अंतराल में हम सुधार से संबंधित कोई न कोई घोषणा कर रहे हैं। इस तरह से हम संकटग्रस्त हर सेक्टर की एक के बाद एक सुध ले रहे हैं।'