नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को निवेशकों को आश्वासन दिया कि भारत विभिन्न ऊर्जा समझौतों के तहत की गई अनुबंधात्मक प्रतिबद्धताओं का सम्मान करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बड़े सुधारों पर काम करना जारी रखेगी।
इंडिया एनर्जी फोरम 2019 के सेरावीक सम्मेलन में सीतारमण ने कहा, 'शर्तों का सम्मान किया जाएगा और निवेशकों को किसी तरह की चिंता नहीं होनी चाहिए।' हाल ही में, आंध्र प्रदेश ने सरकारी एजेंसियों भारतीय सौर ऊर्जा निगम (सेकी) और एनटीपीसी से बिजली खरीद समझौतों के तहत उनके द्वारा नीलाम की गई नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की दर को कम करने के लिए कहा था। इसके कारण विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
वित्त मंत्री ने कहा कि निवेश के माहौल को अनुकूल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने बिना किसी 'किंतु-परंतु' के कर को कम किया है। सीतारमण ने कहा कि कंपनी कानून में संशोधन किए जा रहे हैं ताकि यह सजा (दंड) जैसा नहीं लगे। इसके अलावा बड़े और गंभीर सुधार भी जारी रहेंगे। इससे पहले , पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उम्मीद जताई थी कि प्राकृतिक गैस और विमान ईंधन (एटीएफ) को शुरू में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाएगा। वर्तमान में पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है और राज्य इन उत्पादों पर बिक्री कर लगाते हैं।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा पीएम मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की भारत की अर्थव्यवस्था को बनाने में पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय अहम भूमिका निभा रहा है। भारत दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसे गैस आधारित इकोनॉमी बनाने के लिए वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता पर बल देते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि हम प्रत्येक व्यक्ति की ऊर्जा आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एनर्जी सिक्युरिटी और एनर्जी जस्टिस फॉर ऑल एक दूसरे के पूरक हैं।
प्रधान ने कहा कि एनर्जी और पेट्रोलियम के क्षेत्र से जुड़े एक्सप्लोरेशन-प्रोडक्शन में 2023 तक भारत 58 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करेगा। छोटे तेल गैस क्षेत्र विकसित करने के लिए बनाई गई (डीएसएफ) पॉलिसी के बेहतरीन परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रधान ने कहा कि लो कॉर्बन इकोनॉमी (निम्न कार्बन उत्सर्जक अर्थव्यवस्था) की ओर भारत तेजी से कदम बढ़ा रहा है। कार्बन उत्सर्जन को लेकर हम अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता को हासिल कर रहे हैं। भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन अन्य विकसित और विकासशील देशों के मुकाबले काफी कम है। हम ओईसीडी सदस्य देशों में पर्यावरण अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे हैं।