नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि 2022 में जब देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। सरकार उसी वर्ष अमीरों (सुपर रिच) पर कर-अधिभार की समीक्षा करेगी। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में सरकार ने दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आय कमाने वाले धनाढ्यों पर कर अधिभार 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक की कर योग्य आय पर अधिभार को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 37 प्रतिशत कर दिया। इसके चलते दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आय पर आयकर की प्रभावी दर पहले के 35.88 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत और पांच करोड़ रुपये से अधिक की कर योग्य आय वालों पर प्रभावी आयकर दर 42.7 प्रतिशत हो गयी है।
शुक्रवार को अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले कदमों की घोषणा करते हुए सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर ऊंचे कर-अधिभार को वापस ले लिया और बजट पूर्व की स्थिति बहाल कर दी। एफपीआई पर ऊंचे कर अधिभार को वापस लेने से सरकार के खजाने को 1,400 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। इस दौरान उनसे धनाढ्यों पर लगाये गए ऊंचे कर-अधिभार को हटाने के संबंध में भी सवाल किया गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ऊंची कमाई वाले (सुपर रिच) व्यक्तियों पर लगाए गए कर-अधिभार की समीक्षा देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ 2022 में की जाएगी।
ईवाई इंडिया के कर भागीदार समीर गुप्ता ने कहा कि इस घोषणा को लेकर काफी उम्मीद की जा रही थी। बहरहाल, इसके पूरे असर को देखने की बात है। अभी यह स्पष्ट नही है कि रिण प्रतिभूतियों, डेरिवेटिव्ज से होने वाले पूंजीगत लाभ पर इस घोषणा का क्या असर होगा।