नई दिल्ली। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक घोटाला मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान आने के बाद आज शनिवार को उन्होंने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात की है। इस मुलाकात की जानकारी खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विट कर दी है।
वित्त मंत्री ने ट्वीट कर बताया, 'पीएमसी बैंक मामले में मैंने आरबीआई गवर्नर से मुलाकात की है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि ग्राहकों और उनकी चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी, हम ग्राहकों की उचित चिंताओं को समझते हैं, वित्त मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहकों की चिंताओं को दूर किया जाए।' बताया जा रहा है कि इसके बाद बैंक के खाताधरों को कुछ राहत मिल सकती है।
मालूम हो कि बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने पीएमसी बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं, जिसके बाद से बैंक के खाताधरकों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। 10 अक्टूबर को पीएमसी बैंक पर लगाई गई पाबंदियों से नाराज खाताधारकों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। जिसके बाद वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इस मामले का वित्त मंत्रालय से कोई लेना-देना नहीं है, इस पूरे मामले पर आरबीआई नजर रखे हुए है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि हम ऐसी घटनाओं को रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं, जरूरत पड़ी तो हम एक्ट में बदलाव करेंगे, लेकिन अभी इस बदलाव के बारे में ज्यादा कुछ कह नहीं सकते हैं।
बता दें कि पीएमसी 11,600 करोड़ रुपए से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है लेकिन इसके बावजूद पीएमसी के जमाकर्ता अपने बैंक से धन नहीं निकाल पा रहे हैं क्योंकि बैंक की स्थिति को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। अभी पीएमसी के ग्राहक खाते से 25000 रुपए ही निकाल सकते हैं।
जानिए क्या है पीएमसी बैंक घोटला
पीएमसी बैंक घोटाले की जानकारी रिजर्व बैंक को एक व्हिसलब्लोअर के माध्यम से मिली, जिसके बाद 24 सितंबर को उसने बैंक को अपने नियंत्रण में ले लिया और नगद निकासी की सीमा तय कर दी। घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद पता चला कि बैंक ने अपने कुल 8800 करोड़ के कर्ज में से 73 फीसदी यानी 6500 करोड़ का लोन तो सिर्फ एक ही कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) को ही दिया हुआ था।
पुलिस जांच में पाया गया है कि पीएमसी बैंक में 21049 खाते फर्जी खाते खोले गए थे जिनमें से अधिकतर लोग या तो मृत थे या फिर इन लोगों ने इस बैंक में अपने खाते बंद करवा दिए थे। ये 21049 खाते कोर बैंकिंग सिस्टम में नहीं बनाए गए थे बल्कि इन्हें एडवांस मास्टर इंटेंड एंट्री के रूप में आरबीआई के सामने पेश किया गया था।
पीएमसी बैंक के बड़े अधिकारियों ने बैंक द्वारा दिए गए कुल लोन का लगभग 70 प्रतिशत लोन एक हाउिसंग डेवलपमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (एचडीआईएल) कंपनी और इसकी सहायक कंपनियों को दिया था। एचडीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों ने लोन की राशि छुपाने के लिए 44 लोन अकाउंट खोले थे, जिनमें यह लोन की राशि ट्रांसफर की गई थी। जिसके बाद जांच में बैंक में लगभग 4,355 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपए में से 6,500 करोड़ रुपए का ऋण दिया था, यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है।
बताया ये भी जा रहा है कि इस बैंक घोटाले का पर्दाफाश पीएमसी बैंक के क्रेडिट विभाग की महिला कर्मचारियों के एक समूह ने किया है। इन कर्मचारियों ने आरबीआई को बताया कि उन्हें इन फर्जी खतों की जानकारी थी, हालांकि मामला सामने तब आया जब एचडीआईएल समय पर लोन नहीं चुका पाया और बैंक का एनपीए काफी बढ़ गया व खाता धारकों में उनका जमा पैसा मिलने में दिक्कत होने लगी।
बैंक से पैसा ना मिलने की खबर आग की तरह ग्राहकों में फैली और पीएमसी बैंक के ग्राहक अपनी गाढ़ी कमाई को वापस लेने के लिए पीएमसी बैंक पहुंचे, लेकिन उन्हें अपने जमा किए गए पैसे देने से मना कर दिया गया और बैंक द्वारा निकासी की सीमा निर्धारित कर दी गई है।
बैंक पर लगाई गई हैं कई पाबंदियां
पीएमसी बैंक पर आरबीआई को गुमराह करने का आरोप है। आरोप के मुताबिक पीएमसी बैंक के मैनेजमेंट ने अपने नॉन परफॉर्मिंग एसेट और लोन वितरण के बारे में आरबीआई को गलत जानकारी दी है। यही वजह है कि आरबीआई ने 6 महीने के लिए पीएमसी बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगाई है। केंद्रीय बैंक ने यह कार्रवाई बैंकिग रेलुगेशन एक्ट, 1949 के सेक्शन 35ए के तहत की है। इस पाबंदियों की वजह से ग्राहकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बैंक से ग्राहकों को पैसे निकालने में दिक्कत हो रही है, वहीं करीब 6 महीने तक बैंक में कोई नया फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट नहीं खुल सकेगा। इसके अलावा बैंक के नए लोन जारी करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
गौरतलब है कि पीएमसी घोटाले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिनमें एचडीआईएल के निदेशक राकेश वधावन व पुत्र सारंग वधावन, बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाल सिंह और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थॉमस शामिल हैं। फिलहाल पीएमसी बैंक रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के अंतर्गत काम कर रहा है। बैंक के पूर्व प्रबंधकों की पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है।
खाताधारकों का पैसा डूबेगा तो नहीं, बैंक का क्या होगा?
फिलहाल तो बैंक छह महीने के लिए आरबीआई के पूर्ण नियंत्रण में रहेगा जो कि खाताधारकों के लिए राहत की बात है। आरबीआई ने हाल ही में बैंक से पैसा निकासी की लिमिट 25 हजार रुपए प्रति खाते तक कर दी है। आरबीआई का कहना है कि बैंक के कुल ग्राहकों में 90 फीसदी ऐसे हैं, जिनकी जमा राशि ढाई लाख रुपए से कम है। आरबीआई के अनुसार पैसा निकालने की लिमिट बढ़ने से करीब 70 फीसदी खाताधारक अपना पूरा पैसा बैंक से निकाल पाएंगे।