नई दिल्ली। आर्थिक सुधारों की दृष्टि से महत्वपूर्ण वस्तु एवं सेवा कर (GST) विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पारित करवाने के लिए कांग्रेस का समर्थन जुटाने के प्रयास के तहत वित्त मंत्री अरुण जेटली प्रमुख संसद में इस प्रमुख विपक्षी दल के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि जेटली शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व से मिल कर उसे विधेयक के समर्थन के लिए राजी कराने का प्रयास कर सकते हैं। राज्य सभा में कांग्रेस के विरोध की वजह से ही अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में अब तक के सबसे बड़े सुधार की यह कवायद अटकी हुई है। राज्य सभा में सत्तारूढ राजग का बहुमत नहीं है। संसद का मानसून अधिवेशन 18 जुलाई को शुरु हो रहा है। जेटली उससे पहले कांग्रेस के नेताओं से मिल सकते हैं।
सरकार छोटे क्षेत्रीय दलों की मदद से राष्ट्रीय बिक्री कर कानून को राज्यसभा में पारित करवाने की उम्मीद कर रही है। उसके बाद जीएसटी से संबंधित सहायक कानूनों को साल के अंत तक पारित कराया जाएगा ताकि जीएसटी को अप्रैल, 2017 में लागू किया जा सके। GST विधेयक नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के जरिए 29 राज्यों को एकल बाजार में बदलेगा। इसे पहले इसी साल 1 अप्रैल से लागू किया जाना था।
कांग्रेस ने सबसे पहले 2006 में संविधान संशोधन का प्रस्ताव किया था। वह कुल दर को संविधान के तहत 18 फीसदी पर सीमित करने की मांग कर रही है। साथ ही वह विनिर्माण वाले बड़े राज्यों के राजस्व में जीएसटी से होने वाले संभावित कमी की भरपाई के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर का विरोध कर रही है। संसद द्वारा जीएसटी के लिए संविधान संशोधन को मंजूरी के बाद इसे आधे से अधिक राज्यों द्वारा अनुमोदित करने की जरुरत होगी। उसके बाद संसद को जीएसटी का क्रियान्वयन करने के लिए एक और विधेयक पारित करना होगा।
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