नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के 30,000 करोड़ रुपये के विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इस कदम का मकसद कोरोना वायरस संकट के बीच इस क्षेत्र को कर्ज के जरिये मदद उपलब्ध कराना है। उन्होंने इसके अलावा निचले स्तर की क्रेडिट रेटिंग रखने वाली एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिये 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज सहायता दे सकें।
मंत्री ने कहा कि 30,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी योजना के तहत इन संस्थानों के निवेश योग्य बॉन्ड्स में निवेश किया जाएगा। इन सिक्योरिटी को सरकार पूर्ण रूप से गारंटी देगी। सीतारमण ने कहा कि इससे इन संस्थानों को नकदी उपलब्ध होगी और बाजार में एक भरोसा बनेगा। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को बांड बाजारों से पैसा जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0 (पीसीजीएस) के बारे में सीतारमण ने कहा कि निम्न साख वाले एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई को लोगों तथा एमएसएमई को कर्ज देने के लिये नकदी की जरूरत है। मौजूदा पीसीजीएस का विस्तार कर इन इकाइयों के बांड/वाणिज्यक पत्रों को इसके दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले 20 प्रतिशत नुकसान का वहन गारंटी देने वालों को करना होगा और वह सरकार है। इसके तहत एए और उससे नीचे की रेटिंग (बिना रेटिंग वाले समेत) वाले बांड निवेश के लिये पात्र होंगे। यह एमएफआई के लिये फायदेमंद है। ये उपाय 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को की।