नई दिल्ली। बजट में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना के तौर-तरीकों तथा इसके क्रियान्वयन के बारे में वित्त और स्वास्थ्य मंत्रालय इसी महीने पहली बैठक करेंगे। इसके अलावा दावों के निपटान के लिए बीमा कंपनियों का सहारा लेने या एक न्यास बनाये जाने पर भी चर्चा की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि इस बात पर चर्चा की जाएगी कि योजना को साधारण बीमा कंपनियों के जरिये अमल में लाया जाये या फिर इसके लिये न्यास आधारित मॉडल बनाया जाये।
अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य सरकारों से चर्चा करेगा कि इस योजना के अमल में आने के बाद राज्यों की मौजूदा बीमा योजनाओं के साथ कैसे तालमेल बिठाया जाएगा। इस पर विचार किया जाएगा कि क्या इन योजनाओं का विलय किया जा सकता है। केंद्रीय स्तर पर चलाई जा रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को इस नयी योजना में ही शामिल कर दिया जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 का बजट पेश करते हुये राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना की घोषणा की। इसके तहत देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जायेगा। 10 करोड़ परिवारों के हिसाब से माना जा रहा है कि योजना का लाभ 50 करोड़ लोगों को मिलेगा। इसे सरकार द्वारा चलाया जाने वाला दुनिया की सबसे बड़ा स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम बताया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय योजना को तैयार करेगा और इसे 15 अगस्त को या फिर दो अक्तूबर से शुरू किया जा सकता है। योजना पर 1,200 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।