नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा पीछे की तिथि से 10,247 करोड़ रुपए की कर मांग के खिलाफ केयर्न एनर्जी की याचिका पर हेग में अंतिम सुनवाई अगस्त में शुरू होगी। ब्रिटिश कंपनी के आज जारी एक बयान के अनुसार तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा है कि वह सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले को यथा संभव शीघ्र लिखने की समुचित तैयारी करेगा।
भारत सरकार ने 2014 में दो साल पुराने कानून के तहत केयर्न के खिलाफ आंतरिक पुनर्गठन को लेकर 10,247 करोड़ रुपए के कर की मांग की थी। यह पुनर्गठन 10 साल पहले किया गया था। इसके खिलाफ केयर्न ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में मामला दायर किया है। वर्ष 2012 का कानून सरकार को पूर्व की तिथि से कर लगाने का अधिकार देता है।
कंपनी ने कहा है कि यूके-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के अंतर्गत केयर्न के दावे पर जारी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ्ता कार्यवाही काफी आगे बढ़ गई है। इस पर अंतिम सुनवाई द हेग में अगस्त 2018 को होनी है।
उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह ने 2011 में ब्रिटिश कंपनी से केयर्न इंडिया का अधिग्रहण किया था। इसमें केयर्न एनर्जी की अब 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
अप्रैल 2017 में केयर्न इंडिया लिमिटेड तथा वेदांता लिमिटेड के विलय के बाद केयर्न यूके होल्डिंग्स लिमिटेड ( सीयूएचएल) की हिस्सेदारी केयर्न इंडिया में 5 प्रतिशत रह गई है, जिसे कर विभाग ने जब्त कर लिया है। कुल 10,247 करोड़ रुपए के कर मांग में कर के लावा ब्याज दर तथा जुर्माना शामिल हैं।