नई दिल्ली। देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स को लागू हुए 5 महीने हो चुके हैं और 5 महीने के दौरान शेयर बाजार में हुए विदेशी निवेश के आंकडों को देखे तों नवंबर के दौरान 5 महीने यानि GST काल का सर्वाधिक विदेशी निवेश हुआ है। विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय शेयर बाजारों का रुख किया है। नवंबर महीने में उन्होंने घरेलू शेयर बाजार में 19,700 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह GST काल का सर्वाधिक मासिक और पिछले आठ महीने का उच्च स्तर है। इसकी अहम वजह विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार के साथ सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने की घोषणा करना है।
इसी अवधि में विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार में भी 530 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डिपॉजिटरी डेटा के मुताबिक पिछले महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कुल 19,728 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह एफपीआई का मार्च के बाद किया गया सबसे ज्यादा निवेश है। मार्च में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 30,906 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
भारतीय शेयर बाजारों के लिए यह साल जबरदस्त रहा है। अगस्त और सितंबर महीने में भारतीय शेयरों में लिवाली कम रहने के बाद अक्तूबर से इसमें फिर सुधार देखने को मिला है और नंवबर महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पर्याप्त मात्रा में निवेश किया। मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करने के सरकार के फैसले को विदेशी निवेश में तेजी का श्रेय दिया जा सकता है। श्रीवास्तव ने आगे कहा कि विश्वबैंक के कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधरना भी भारत के पक्ष में रहा। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता संबंधी रैंकिंग में भारत ने 30 स्थानों की छलांग लगाई है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक बैंकों को मजबूत करने के लिए अगले दो साल में 2110 अरब रुपये बैंकों में डालने की घोषणा की थी। इस योजना में 1350 अरब रुपये के पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 2017 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयर बाजार में 53,800 करोड़ रुपये और ऋण बाजार में 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।