उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानि फिक्की ने मौजूदा वित्त वर्ष में 5 फीसदी विकास दर का अनुमान दिया है। संगठन का अनुमान सरकार द्वारा जारी विकास दर के अनुमानों के मुताबिक ही है। संगठन ने उम्मीद जताई है कि आगे स्थितियां बेहतर होंगी और 2020-21 में देश की विकास दर 5.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती हैं।
संगठन के सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि और उससे जुड़ी सेवाएं 2.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ेंगी। वहीं, इंडस्ट्री 3.5 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकता है। सर्विस सेक्टर को लेकर उद्योग काफी सकारात्मक हैं। फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में सर्विस सेक्टर 7.2 फीसदी की ग्रोथ हासिल कर सकता है। फिक्की ने अनुमान लगाया है कि बीती दिसंबर तिमाही में देश की विकास दर 4.7 फीसदी पर रहेगी। उद्योग संगठन की सबसे बड़ी चिंता विदेशी संकेतों की वजह से निर्यात में गिरावट को लेकर है। सामानों के निर्यात में 2.1 फीसदी की कमी का अनुमान है। वहीं आयात में भी 5.5 गिरावट की आशंका जताई गई है। इसके साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष के लिए चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.4 फीसदी रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी, दुनिया भर में जारी राजनैतिक उठापटक के साथ अमेरिकी चीन और ब्रेक्सिट को लेकर अनिश्चितता घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़े जोखिम हैं।
सर्वे में सरकारी आय में कमी की आशंका जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रोथ में नरमी की वजह से सरकार को होने वाली आय पर भी दबाव पड़ सकता है। फिक्की ने ये सर्वे दिसंबर और जनवरी के मध्य कराया था। रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्वे में उद्योग बैंक और वित्तीय सेवाओं से जुड़े कई अर्थशास्त्रियों की राय को शामिल किया गया है। इस अर्थशास्त्रियों के मुताबिक आगामी बजट में सरकार को आय बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में बदलाव जैसे किसी भी कदम से बचना चाहिए। सर्वे के मुताबिक घरेलू मांग में सुस्ती के बीच ऐसा कोई भी फैसला गलत साबित हो सकता है।