नई दिल्ली। अधिक सैलरी और कॅरियर ग्रोथ के लिए बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स स्टार्टअप ज्वाइन कर रहे हैं। लेकिन, आंकड़ों पर गौर करें तो स्टार्टअप ज्वाइन करना खतरों से खाली नहीं है। पिछले छह महीने के दौरान भारत में सबसे हाई प्रोफाइल स्टार्टअप ने करीब 1500 लोगों को नौकरी से निकाला है। इसमें फूड पांडा, जोमाटो और हाउसिंग.कॉम जैसी कंपनियां शामिल हैं। वहीं, एनालिस्टों का मानना है कि स्टार्टअप में यह दौर 2016 में भी जारी रहने वाला है। इंडस्ट्री बॉडी नेस्कॉम के मुताबिक 80,000-85,000 प्रोफेशनल्स भारतीय स्टार्टअप्स में काम कर रहे हैं। स्टार्टअप में नौकरी के लिए अप्लाई करने से पहले इन बातों का जरूर ख्याल रखें।
ना पालें बड़ी उम्मीदें
टीमलीज के सीनियर वाईस-प्रेसिडेंट कुणाल सेन कहते हैं कि बड़ी कंपनियों में काम कर रहे प्रोफेशनल्स स्टार्टअप ज्वाइन करने के सही मायने समझे बिना नौकरी छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि एक स्टार्टअप के साथ काम करना निश्चित रूप से एक बड़ी कंपनी में काम करने से अलग है। स्टार्टअप में आपको कई भूमिका निभानी पड़ सकती हैं, जबकि बड़ी कंपनी में आपका काम तय होता है। अगर आप ऐसा करने में असफल रहते हैं तो स्टार्टअप की दुनिया में आपके लिए कोई जगह नहीं है।
स्टार्टअप में तय नहीं होती आपकी भूमिका
बेंगलुरु स्थित नोब्रोकर के एंजेल इन्वेस्टर और चीफ मेंटर सौरभ गर्ग कहते हैं कि मैं हमेशा कैंडिडेट को बताता हूं कि आपके ऑफर लेटर पर क्या लिखा है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। आपको हमेशा उससे अधिक काम करना पड़ता है और यही कहानी हर स्टार्टअप की है। गर्ग ने बताया कि बड़ी और पुरानी कंपनियां रूल्स फॉलो करती हैं, जबकि स्टार्टअप्स एक्शन-ओरिएंटेड हैं। बड़ी कंपनियां फैसले लेने में हफ्ते-महीने लगाती हैं, लेकिन स्टार्टअप कंपनियां तुरंत फैसला लेती हैं। इसलिए अगर आप ऐसे कल्चर के लिए तैयार नहीं है तो आपको असुविधा हो सकती है।
समझदारी से करें कंपनी का चयन
प्रोफेशनल्स स्टार्टअप कल्चर की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि वहां वे टी-शर्ट और जींस पहन कर काम कर सकते हैं। लेकिन, नौकरी ज्वाइन करने वालों को पता करना चाहिए कि कंपनी सैलरी के अलावा क्या-क्या सुविधा दे रही है। सौरभ गर्ग के मुताबिक स्टार्टअप्स ऐसे लोगों को ज्वाइन करना चाहिए, जो कंपनी की परेशानी को अपनी परेशानी समझ सकें। इसके अलावा नौकरी ज्वाइन करने से पहले फाउंडर का बैकग्राउंड, बिजनेस मॉडल और कंपनी का ट्रेक रिकॉर्ड की जांच करना भी बहुत जरूरी होता है।