नई दिल्ली। प्रदूषण पर अंकुश लगाने तथा तेल आयात बिल में कमी लाने के उद्देश्य से देश में कार्बन उत्सर्जन वाले वाहनों पर अधिभार लगाने तथा पर्यावरण अनुकूल वाहनों पर रियायत देने की एक ‘फीबेट’ नीति अपनाए जाने का सुझाव दिया गया है। नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में इस तरह की फीबेट (फीस-रिबेट) नीति लागू करने की संभावना का आकलन किया गया है।
‘फीबेट’ नीति ऊर्जा दक्ष या पर्यावरण अनुकूल निवेश को प्रोत्साहित करने तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को हतोत्साहित करने के सिद्धांत पर आधारित है। यह सुझाव ऐसे समय रखा गया है जब सरकार ने 2030 तक केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने का लक्ष्य रखा है। ‘मूल्यवान समाज पहले: भारत में फीबेट नीति की संभावना का आकलन’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 2030 तक केवल बिजली चालित वाहनों को अनुमति देने का फैसला किया है, ऐसे में अनुकूल फीबेट नीति इस लक्ष्य को हासिल करने में प्रभावी रूप से मददगार हो सकती है और इसमें सरकार को अपने कोष से बहुत कम या न के बराबर अतरिक्त धन खर्च करना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में निजी वाहनों में तेजी से वृद्धि हो रही है जिसके कई दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 10 भारत में हैं। रिपोर्ट की भूमिका में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा है कि देश में फिलहाल 50,000 से अधिक वाहन प्रतिदिन पंजीकृत हो रहे हैं और देश का वाहन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि नए वाहन दक्ष और पर्यावरण अनुकूल हों और यह सभी की जिम्मेदारी है।
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए रिपोर्ट में तीन चरण में फीबेट नीति लागू करने का सुझाव दिया गया है। इसमें पहले कदम के रूप में एक स्वतंत्र पेशेवर निकाय गठित करने का सुझाव दिया गया है, जो नीति के संदर्भ में शोध तथा तकनीकी डिजाइन को आगे बढ़ाए। दूसरे चरण में राजस्व निरपेक्ष ‘फीबेट’ नीति का क्रियान्वयन करना चाहिए तथा नीति को लेकर बाजार की प्रतिक्रिया का आकलन एवं उसके अनुसार सालाना आधार पर नीति को अद्यतन बनाने का सुझाव दिया गया है। तीसरे चरण में इसके विस्तार और उपयोग किए गए वाहन बाजार में भी इसे लागू करने की बात कही गई है।