नई दिल्ली। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के फैसले पर गुरुवार को जनमत संग्रह होना है और इसको लेकर बनी हुई अनिश्चित स्थिति से निपटने के लिए सरकार को एक आपात योजना तैयार करके रखनी चाहिए। इस जनमत संग्रह के परिणाम से वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचना लाजिमी है। यह बात उद्योग मंडल एसोचैम ने कही।
एसोचैम ने कहा, ब्रिटेन और यूरोपीय बाजारों में अनिश्चिता की स्थिति में मध्यम और दीर्घावधि का कोष भारतीय बाजारों का रूख कर सकता है लेकिन तत्काल अवधि में कुछ भी हो सकता है और एक विश्वसनीय अर्थव्यवस्था के तौर पर हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। उद्योग मंडल ने कहा कि उसे रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर पूर्ण विश्वास है कि इस तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य से वह निपट लेंगे। जनमत संग्रह के परिणामों में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने या उसमें बने रहने की आशंका के बीच उद्योग मंडल का मानना है कि इससे वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल हो सकती है।
ब्रिटिश-भारतीय काउंसलरों ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन किया
विभिन्न राजनीतिक दलों से संबद्ध 70 से अधिक ब्रिटिश-भारतीय काउंसलरों ने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन किया है। उन्होंने इसको लेकर गुरुवार को होने वाले जनमत संग्रह में 12 लाख भारतीय मूल के मतदाताओं के समर्थन का भी आह्वान किया है। 71 काउसंलरों ने कहा कि उनका विश्वास है कि 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ में बने रहने से ब्रिटेन को न केवल सुरक्षा बल्कि व्यापार में भी उल्लेखनीय रूप से लाभ होगा। साथ ही उन्होंने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने के लिए जनमत संग्रह में मतदान करने को लेकर स्थानीय इलाकों में अभियान भी चलाया।
कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद तथा प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के भारत में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दूत आलोक शर्मा ने कहा, ब्रिटेन में 12 लाख ब्रिटिश भारतीय मतदाता हैं और 23 जून को होने वाले जनमत संग्रह में हमारा वोट महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, यह साफ है कि ब्रिटिश-भारतीय समुदाय में कई लोग तथा कारोबारी इस बात से सहमत हैं कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने के पक्ष में मतदान हमारे देश और समुदाय के लिए सही विकल्प है।
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