नई दिल्ली। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोत्तरी का फैसला किया है। यह बढ़ोत्तरी करीब 10 साल (2006) के बाद पहली बार हुई है। 2004 से 2006 के बीच फेडरल रिजर्व ने 17 बार दरें बढ़ाई थी। लेकिन 2008 के दौरान अमेरिका में आई फाइनेंशियल क्राइसिस को देखते हुए सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें लगभग शून्य कर दी थीं। फेड ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार आया है। फेड के कुल 10 मेंबरों ने दरें बढ़ाने के पक्ष में वोट किया है। फेड चेयरमैन जेनेट येलेन ने कहा कि आगे भी जरूरत के मुताबिक ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
सोने-चांदी में बड़ी गिरावट की आशंका
केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया ने बताया कि अमेरिका में ब्याज दरों में हुई बढ़ोत्तरी से सोने की कीमतों में गिरावट का एक नया दौरा शुरू हो सकता है। केडिया के मुताबिक 2017 तक अमेरिका में ब्याज दरें 4 फीसदी तक पहुंच सकती हैं। इसके कारण प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में तेजी बनी रहेगी। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार से क्रूड और बेसमेटल्स की मांग बढ़ेगी। ग्लोबल एसेट एलोकेशन के हेड एलेन बॉकोब्जा ने कहा कि सोने की कीमतें 955 डॉलर प्रति औंस तक आने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना ऊपरी स्तर से करीब 20 डॉलर टूट चुका है। बुधवार के कारोबार में सोना 1080 डॉलर के स्तर तक पहुंच गया था, जो कि फिलहाल 1065 डॉलर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है।
तस्वीरों में देखिए क्यों बढ़ाई फेड ने ब्याज दरें
Fed interest rate
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अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने कहा पटरी पर लौटी अर्थव्यवस्था
बुधवार देर रात खत्म हुई बैठक के बाद फेड ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका के लेबर मार्केट में काफी सुधार हुआ है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका अर्थव्यवस्था और महंगाई दर के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। फेड चेयरमैन जेनेट येलेन ने कहा कि सेंट्रल बैंक को पूरी उम्मीद है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के वेतन से जुड़ी ग्रोथ में अभी भी सुधार की जरूरत है। आगे ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी पर येलेन ने कहा आर्थिक ग्रोथ को देखते हुए इसका फैसला लिया जाएगा।
अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का असर
- इंडिया फॉरेक्स के सीईओ अभिषेक गोयनका ने इंडियाटीवी पैसा को बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी और गहरा सकती है। अभिषेक के मुताबिक अगले 3 से 6 महीने के दौरान रुपया 68.25 के स्तर पर आ सकता है। छोटी अवधि में डॉलर के मुकाबले रुपया 66.50 से 67.80 के दायरे में कारोबार करता नजर आ सकता है।
- अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से विदेशी निवेशक घरेलू बाजार से अपना पैसा निकाल सकते हैं। इसका असर पहले से ही बाजार में दिखाई दे चुका है। एफआईआई ने नवंबर में 7,628.81 करोड़ रुपए और दिसंबर में (10 दिसंबर तक) 2,733.18 करोड़ रुपए की बिकवाली की है। इस तरह से पिछले दो महीने में एफआईआई करीब 10,361.99 करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं। इसके अलावा एफपीआई इस महीने 5500 करोड़ रुपए शेयर बाजार से निकाल चुके हैं।