नई दिल्ली। कारखानों में उत्पादन और नए कारोबारी ऑर्डर में वृद्धि की गति धीमी पड़ने से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों फरवरी में चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, जनवरी के मुकाबले इसमें गिरावट मामूली रही। मासिक सर्वेक्षण निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (PMI) फरवरी-2018 में 52.1 रहा जो कि जनवरी में 52.4 था। यह परिचालन हालात में बेहतरी को दिखाता है। यह लगातार सातवां महीना है जब PMI सूचकांक 50 से ऊपर रहा है।
PMI का 50 से ऊपर रहना क्षेत्र में विस्तार अथवा वृद्धि को दर्शाता है। वहीं इसका 50 के स्तर से नीचे रहना क्षेत्र में संकुचन को दिखाता है। दिसंबर 2017 में यह सूचकांक 60 माह के उच्च स्तर यानी 54.7 पर पहुंच गया था।
जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा के अनुसार भारत का विनिर्माण क्षेत्र विस्तार के दायरे में बना हुआ है। लेकिन दिसंबर में गतिविधियों के तेज होने के बाद उसने इनमें कुछ समेकन का इशारा किया है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री और इस रिपोर्ट की लेखिका आशना डोढिया ने कहा कि यह बेहद अच्छा है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वृद्धि के दायरे में बना रहा है। जबकि वस्तु एवं सेवा कर (GST) का प्रभाव नकारात्मक रहा था।
बेहतर उत्पादन जरुरतों को देखते हुए फरवरी के दौरान फर्मों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की है। इस दौरान जनवरी की अपेक्षा रोजगार सृजन भी थोड़ा तेज रहा है। कीमत के स्तर पर सर्वेक्षण बताता है कि लागत मुद्रास्फीति फरवरी 2017 के बाद समीक्षावधि में यह सबसे तेज रही है।
कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती के अनुमान और राजकोषीय जोखिम बढ़ने की संभावना को देखते हुए आईएचएस मार्किट ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (खुदरा मुद्रास्फीति) अनुमान को बढ़ाकर 5.2% कर दिया है।