नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने उन रिपोर्ट्स को पूरी तरह खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि खरीफ और रबी फसलों के समर्थन मूल्य को लागत से 1.5 गुना करने पर सरकार के खजाने पर बोझ पड़ेगा और महंगाई में इजाफा हो सकता है। SBI ने रिपोर्ट जारी कर रहा है कि इस योजना के लागू होने पर सरकार पर जितने खर्च का बोझ आने का अनुमान लगाया जा रहा है उसके मुकाबले एक चौथाई खर्च आएगा।
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक फसल वर्ष 2016-17 (मार्केटिंग वर्ष 2017-18) के समर्थन मूल्य, खरीद आंकड़े और बाजार में न्यूनतम बाजार भाव को आधार मानें तो गेहूं के मामले में सरकार पर 2325 करोड़ रुपए का बोझ बनता है, वहीं न्यूनतम बाजार भाव की जगह अगर औसत बाजार भाव को आधार मानें तो सिर्फ 650 करोड़ रुपए का बोझ रह जाता है। इसी तरह न्यूनतम बाजार भाव के आधार पर धान के मामले में 1553 करोड़ रुपए, बाजरा के मामले में 2392 करोड़ रुपए और मक्का के मामले में 5042 करोड़ रुपए का बोझ बनता है। इन चारों फसलों का अतिरिक्त बोझ 11500 करोड़ रुपए से भी कम बैठ रहा है।
SBI ने यह भी कहा है कि समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत से डेढ़ गुना करने पर महंगाई बढ़ने की आशंका ज्यादा नहीं है। बल्कि मध्य प्रदेश में उड़द को लेकर हुए इस तरह के प्रयोग भावांतर भुगतान योजना के बाद बाजार में उड़द की कीमतें बढ़ने के बजाय घटने लगीं थी।