नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कम आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को लेकर शनिवार को सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में जिस सुस्ती का डर था वह सामने आ गया है। चिदंबरम ने एक बयान में कहा कि नई परियोजनाओं और नए निवेश में गिरावट आई है। असंगठित क्षेत्र नोटबंदी के दुष्प्रभावों से जूझ रहा है। रोजगार सृजन नाम मात्र का है, निर्यात कम हो रहा है और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि नीचे आ गई है। कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी निराशा है।
उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन भारतीय जनता पार्टी सरकार की सबसे बड़ी असफलता है। बैंकों की ऋण वृद्धि (क्रेडिट ग्रोथ) भी बहुत ही कम है और यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है।
चिदंबरम ने कहा कि हालिया सामाजिक असंतोष इसी आर्थिक सुस्ती का प्रत्यक्ष परिणाम है जिसे सरकार छिपाना चाह रही है। अब समय आ गया है कि सरकार बड़े दावे करने के बजाय कुछ ठोस काम करे।
सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए चिदंबरम ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आठ प्रतिशत थी जो 2016-17 में 7.1 प्रतिशत पर आ गई। 2017-18 में इसके 6.5 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। इससे साबित होता है कि आर्थिक वृद्धि सुस्त पड़ रही है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि में गिरावट का मतलब लाखों नौकरियां जाना है।
उन्होंने कहा कि जहां जीडीपी वृद्धि के 2016-17 के 7.1 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में 6.5 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है, वहीं वास्तविक सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के भी 2016-17 के 6.6 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में 6.1 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि,
आसन्न आर्थिक नरमी का डर सच हो रहा है। देश के तेज गति से वृद्धि करने के मोदी सरकार के भारी-भरकम दावे हवा में उड़ गए हैं। चाशनी चढ़ाने, डींग हांकने तथा सुर्खियों को साध कर सच को छिपाने से सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती है। हमारे डर व चेतावनियां सच हो गई हैं।
चिदंबरम ने कहा कि खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़कर 15 महीने के उच्चतम स्तर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गई है। औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर में गिरकर तीन महीने के निचले स्तर 2.2 प्रतिशत पर आ गया है। उन्होंने कहा कि निवेश की तस्वीर धुंधली बनी हुई है। विनिर्माण क्षेत्र में सबसे बड़ी गिरावट आई है और राजकोषीय घाटा के जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने के बजटीय अनुमान से आगे निकल जाने की आशंका है।