नई दिल्ली। डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के संगठन फैडरेशन आफ डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (FDSA) ने कहा है कि वह सरकारी एजेंसियों को ऐसे डीलरों की सूची देगी डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर बाजार में धोखाधड़ी के अक्सर हर मामलों में चर्चा में रहे हैं। FDSA ने एक विज्ञप्ति में कहा कि धोखाधड़ी करने वाली कंपनियां ग्राहकों और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को जल्द अमीर बनाने और कई गुना मुनाफे का लालच देकर जाल में फंसाने के बाद ठगी करके फरार हो जाती हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘ वास्तव में ये कंपनियां नाम बदल कर आती रहती हैं, लेकिन घोटाले करने वालों के चेहरे वही रहते हैं।’ FDSA ने कहा है कि वह अपने साथ जुड़े वैध डीलरों की सुरक्षा के लिए बाजार के ऐसे डीलरों की ‘काली सूची’ तैयार कर रहा है- जिसमें उन डीलरों के नाम शामिल हैं जो ‘हर फर्ज़ीवाड़े में शामिल रहते हैं और घोटालों की श्रृंखला को जन्म देते हैं।’ यह सूची कानून का प्रवर्तन करने वाली एजेंसियों और सरकार को दी जाएगी।
संगठन ने इससे पहले उपभोक्ता की सुरक्षा के लिए, ‘उत्पादों की काली सूची’ बनाने के बाद, कंपनियों की भी एक काली सूची बनाई है, जो कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों और सरकार की जानकारी में लाई गई है। संगठन ने लोगों को आगाह किया है कि कोई भी कंपनी अगर किसी भी प्रकार के सैलरी-प्लान, सिंगल-लेग-प्लान, ऑटो-फिल पूल-प्लान या इन जैसी कोई भी आमदनी (इनकम) का वायदा कर रही है तो वह गलत है।उन्होंने कहा कि इस तरह की योजनाएं भारत सरकार के डायरेक्ट सेलिंग दिशानिर्देश 2016 के अनुरूप नहीं हैं और इसे मनी सर्कुलेशन स्कीम (बैनिंग) ऐक्ट 1978 के तहत अपराध माना गया है।