नई दिल्ली। घरेलू दवा कंपनियों में 74 फीसदी तक निवेश करने को इच्छुक विदेशी फार्मा कंपनियों को निवेश के समय उत्पादन तथा अनिवार्य औषधियों की आपूर्ति के स्तर को पांच साल की अवधि के लिए बनाए रखने की प्रतिबद्धता जतानी होगी। एफडीआई के उदार बनाए गए नियमों में यह कहा गया है।साथ ही 74 फीसदी तक एफडीआई के आरंभ में किए गए अनुसंधान एवं विकास पर किए गए खर्च को मूल्य के संदर्भ में पांच साल तक बनाए रखना होगा। उदार बनाए गए एफडीआई नियमों के तहत औषधि क्षेत्र में स्वत: मार्ग से 74 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है।
एक प्रेस नोट में औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) ने कहा कि अनिवार्य दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में शामिल औषधियों के उत्पादन तथा घरेलू बाजार में उनकी आपूर्ति के स्तर को एफडीआई के समय के स्तर पर अगले पांच साल तक बरकरार रखना होगा। इसके अनुसार इस स्तर के लिए मानक का निर्णय एफडीआई के तुंरत बाद के तीन वित्त वर्षों में उत्पादित एनएलईएम दवाओं के उत्पादन या उपयोग योग्य दवाओं के आधार पर होगा। इन तीन वर्षों में जिस वर्ष उत्पादन अधिक होगा, उसे मानक स्तर बनाया जाएगा। इसके अलावा एफडीआई के आरंभ में किए गए अनुसंधान एवं विकास पर व्यय को मूल्य के संदर्भ में पांच साल तक बनाए रखना होगा।
डीआईपीपी ने कहा कि इस स्तर के लिए मानक का निर्धारण एफडीआई के तुरंत बाद के तीन वित्त वर्ष में किए गए खर्च के आधार पर होगा। यानी जिस वर्ष में अनुसंधान एवं विकास पर अधिक खर्च होगा, वही मानक स्तर होगा। इसके अलावा संबद्ध मंत्रालय को प्रौद्योगिकी के स्थानंतरण के संदर्भ में अगर कोई जानकारी है तो पूरी सूचना उपलब्ध कराई जाएगी। डीआईपीपी ने यह भी कहा कि चिकित्सा उपकरण उद्योग से जुड़ी नई के साथ पुरानी परियोजनाओं में ये शर्तें लागू नहीं होंगी।