नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2015-16 के 11 महीनों (अप्रैल से फरवरी) में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का एक नया रिकॉर्ड बना है। इस दौरान भारत में 51 अरब डॉलर का रिकॉर्ड विदेशी निवेश हुआ है। औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने यह जानकारी देते हुए कहा कि देश में निवेश को प्रोत्साहन के लिए एक स्वस्थ कारोबारी माहौल तैयार किया जा रहा है इसलिए निवेश में वृद्धि भी हो रही है।
अभिषेक ने यहां फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, देश में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। अप्रैल-फरवरी-2015-16 में यह रिकॉर्ड 51 अरब डॉलर रहा है और यह अभी तक का सबसे उच्च स्तर है। वित्त वर्ष 2011-12 में देश में 46.55 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। 2014-15 में यह 44.29 अरब डॉलर रहा था। इस एफडीआई में इक्विटी, रि-इन्वेस्टेड अर्निंग्स और अन्य पूंजी शामिल है। उन्होंने कहा कि देश के एक उचित कारोबारी माहौल के लिए कारोबार सुगमता जरूरी है और सरकार इसको सुधारने के लिए काफी प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि दशकों से जटिल प्रक्रिया और देरी हमारे सिस्टम का अभिन्न हिस्सा रहे हैं, जिन्हें अब धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है। आम जनता और कारोबार दोनों के समय की बचत हो यह सुनिश्चित करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश में विकसित होने वाली टेक्नोलॉजी और बाहर से आने वाली टेक्नोलॉजी के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए सृजनात्मकता और नवाचार की सुरक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है। एफडीआई आंकड़ा यह दर्शाता है कि सरकार उपयुक्त वातारण बनाने में सक्षम है और विदेशी निवेशकों के बीच यह भरोसा बढ़ रहा है कि उनके हित भारत में सुरक्षित हैं।